Friday, March 30, 2018

आप शहर में रहते है, आप अमीर है। बाबुल इनायत

आप शहर में रहते हैं, आप अमीर हैं,
लेकिन ध्यान से देखिये आपके पास असल में कुछ भी नहीं है,
ना सब्जी ना गेहूं ना मछली ना दूध ना सोना ना हीरा,
आपने कागज के रूपये खुद ही छाप लिये,
आपके पास सिर्फ कागज का रुपया है,
इस कागज का एक काल्पनिक मूल्य है,

Thursday, March 29, 2018

लालू यादव जब जेल गए थे तब पूरी तरह सेहतमंद थे। बाबुल इनायत

दिल्ली जाते समय गया स्टेशन पे ली गई तस्वीर
ये तस्वीरें शर्मनाक हैं. लोकतंत्र पर धब्बा हैं. लालू यादव जब जेल गए थे तो पूरी तरह तंदुरुस्त थे. अभी की हालत फोटो में देख लीजिए. ये फोटो बिहार के गया रेलवे स्टेशन पर ली गई है. सुना है कि लालू को इलाज के लिए उनके निजी खर्चे पर भी हवाई जहाज से दिल्ली लाने नहीं दिया गया. सच्चाई आप लोग पता करिए.
अगर घोटाला लालू की सजा है तो इस देश में बड़े से बड़े घोटालेबाज छुट्टा घूम रहा है. अब तक राजनीति में एक शर्म-हया बाकी रहती थी, वो अब खत्म हो गई है. मैंने कहीं पढ़ा था कि जब बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी गंभीर रूप से बीमार थे और विदेश में इलाज कराने के वास्ते उनके पास पैसे नहीं थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री कांग्रेस के राजीव गांधी ने रास्ता निकालकर अटलजी को विदेश भेजा और इलाज कराया. अटल जी ताउम्र राजीव गांधी का ये एहसान मानते रहे और जब राजीव की हत्या हुई और रिपोर्टर अटल जी के पास इस मौत पर प्रतिक्रिया लेने पहुंचे तो अटल जी ने कहा- आप लोग कुछ भी कर लो पर मैं राजीव जी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलूंगा. अगर आज मैं जिंदा हूं, तो सिर्फ राजीव गांधी की बदौलत.
तो ये थी हमारे देश की राजनीति और हमारा लोकतंत्र. लालू यादव को देखकर यकीन नहीं हो रहा कि धुत्त बुड़बक बोलने वाला ये शख्स जेल में कितना कमजोर और लाचार बना दिया गया है. मैं निजी तौर पर इसका सख्त विरोध करता हूं. विचारधारा और राजनीति में हम असहमत हो सकते हैं पर ये निजी दुश्मनी में नहीं बदलनी चाहिए.
एक बार फिर कह रहा हूं. अगर चारा घोटाला लालू का अपराध है तो सिर्फ एक दिन के लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दीजिए. अलग-अलग पार्टियों के भक्तों के जितने भी आराध्य नेता हैं, उन सबको एक ही दिन में Suo moto लेकर जेल में ना ठूंस दिया, तो फिर ये सारी पढ़ाई-लिखाई बेकार है.
कानून और न्यायपालिका के नाम पे किसे मूर्ख बना रहे हो बे ! अगर इतना ही जिगरा है तो जरा विजय माल्या, नीरव मोदी, चोकसी जैसों को वापस ला के दिखाओ ना ! और कहां हैं शरद यादव जो पिछड़ों के मसीहा बने फिरते हैं? कहां हैं रामविलास पासवान ??
एक बार फिर कह रहा हूं. अगर चारा घोटाला लालू का अपराध है तो सिर्फ एक दिन के लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दीजिए. अलग-अलग पार्टियों के भक्तों के जितने भी आराध्य नेता हैं, उन सबको एक ही दिन में Suo moto लेकर जेल में ना ठूंस दिया, तो फिर ये सारी पढ़ाई-लिखाई बेकार है.
रामविलास पासवान को शर्म नहीं आती ? जब ये आदमी खुद जेल में था तो लालू उन्हें ढांढस बंधाने औरे मिलने जेल गए थे. पासवान ने खुद कहा था कि तब उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. कितने कृतघ्न हो तुम रामविलास पासवान ? कितने नौटंकी हो तुम शरद यादव ? और नीतीश कुमार ? जेपी आंदोलन की छड़ी पकड़कर निकले इस आदमी ने कब खुद का जमीर मार दिया, पता नहीं.
राजनीति होती रहती है, पर लोकतंत्र उससे बड़ा है. ये देश एक संप्रभु राष्ट्र है, किसी की बपौती नहीं. लालू यादव अगर बीमार हैं तो उन्हें देश का अच्छे से अच्छा इलाज मिलना चाहिए. जरूरत पड़े तो विदेश भी ले जाना चाहिए. लेकिन एक शेर को इस तरह जंजीरों में बांधकर उसे मारने की कोशिश करेंगे तो जनता सब देख रही है. और जनता माफ नहीं करती.
वह बहुत क्रूरता से फैसला देती है. घमंड ना तो सिकंदर का टिका और ना हिरण्यकश्यप का. ना धरती पर और ना आकाश में, ना मनुष्य द्वारा और ना किसी जानवर द्वारा. मौत कैसे होगी फिर ? कौन मार सकता था उसे ? फिर खंभा फाड़कर नरसिंह अवतार आए. उसे ना आसमान में मारा और ना जमीन पर, बस जंघा पर बिठा के पेट चीर दिया अपने नाखूनों से.
जनता भी नरसिंह अवतार लेती है. जिनको इस बात पर यकीन नहीं, वो इस देश के लोकतंत्र का इतिहास देख ले. ये मजाक था क्या कि दिल्ली में जनता ने अरविंद केजरीवाल जैसे नौसिखिए को आंख मूंदकर सत्ता सौंप दी थी. इसलिए डरिए. जनता न्याय करती है. तौलकर हवा में उछालती हैं और फिर तराजू के पलड़े पर रखके कांटा बराबर कर देती है.
इंतजार कीजिए..,......


                                  बाबुल इनायत
                                 9507860937
             सोशल मीडिया प्रभारी,राजद अररिया बिहार

2 अप्रैल भारत बंद

मैं जनसाधारण द्वारा चलाई जा रही इस मुहिम का दिल खोलकर समर्थन करता हूँ ,2 अप्रेल के भारत बंद को मेरा सम्पूर्ण समर्थन है ,शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन के हमारे संवैधानिक अधिकार का जरूर उपयोग होना चाहिये, हमें इस बन्द को बेहद क्रिएटिव रूप देना चाहिये ,यह सही है कि मार्केट की पूंजीवादी ताकतों को हमारे मुद्दे से रत्ती भर भी सहानुभति नहीं है ,इसलिए वे दुकानें बंद नहीं करना चाहेंगे , पूंजीवाद और मनुवाद एक दूसरे के पूरक है ,ये लोग सदैव हमारे विरोध में ही खड़े होंगे ,इसलिए इनसे टकराव तय मानिये ,2 अप्रेल को हमको इनसे दोचार होना पड़ेगा ,ऐसी मुझे पक्की उम्मीद है ।

मार्केट की ताकते ,सत्ता की ताकत और प्रशासन सब कोई 2 अप्रेल के भारत बंद को विफल करने की कोशिश करेंगे ,हमें कतई घबराना नहीं है ,विरोध के हर नये ,इनोवेटिव तरीके का इस्तेमाल कीजिये ,एकजुट हो कर निकलिये ,एक साथ ,बात जरूर बनेगी ,जहां जहां हमारी ताकत है ,वहां वहां तो बिल्कुल जाम कीजिये ,जहां कमजोरी है ,वहां सड़क पर उतरिये ,रोके जाएं तो शान से गिरफ्तारी दीजिये ,जहां और भी कम संख्या हो ,वहां ज्ञापन दीजिये , प्रेसकांफ्रेन्स कीजिये , थोड़े ही लोग हो तो भी हिचकियेगा मत ,बुक्का फाड़ कर नारे लगाइये ,कुछ नहीं कर सकते है तो काम से हड़ताल कीजिये ,काली पट्टी बांध लीजिए ,अगर बिल्कुल अकेले है तो बाबा साहब की प्रतिमा स्थल पर जा कर अकेले तख्ती उठाकर खड़े हो जाइये ,एक दिन का उपवास कर लीजिए ,कुछ साथी मिलकर क्रांतिकारी मिशनरी गीत ही गा लीजिए ।

2 अप्रेल को घर मे मत बैठिएगा ,बाहर निकालिएगा ,अगर सरकारी नोकरी में है तो सामूहिक अवकाश लीजिए ,आवश्यक सेवाएं दे रहे है तो काली पट्टी बाजू पर बांध लीजिए , आप जिस भी फील्ड के व्यक्ति है ,अपनी प्रतिभा और दक्षता का इस्तेमाल समाज हित मे कीजिये ,मुर्दा कौम बनकर इंतज़ार मत कीजिये ,खामोश मत रहिएगा ,यह बोलने की रुत है ,यह मुंह खोलने का मौसम है ,यह अपने वर्ग शत्रुओं की पहचान और स्वयं के अस्तित्व को बचाने का अवसर है ,इसमें भागीदार बनिये । किसी पार्टी ,नेता ,संस्था ,मसीहा के बुलावे की प्रतीक्षा मत कीजियेगा ।

2 अप्रेल के भारत बंद के आप ही आयोजक ,निवेदक ,संयोजक औऱ मुख्य अतिथि एवम मुख्य वक्ता है ,अपने आप को जगाइये ,अत्त दीपो भव: ,उठिए और दिखा दीजिये कि डॉ आंबेडकर की संतान क्या कर सकती है ,बस इतना सा ध्यान रखिये कि देश की सम्पत्तियां हमारी अपनी है ,हम इस देश के मूलनिवासी है ,किराएदार नहीं ,इसलिये सब कुछ संविधान के दायरे में रहकर शांतिपूर्ण ढंग और लोकतांत्रिक तरीके से कीजिये …!

कुछ न कुछ कीजिये जरूर ताकि आने वाली पीढ़ी से आंखें मिलाने में किसी तरह की शर्मिंदगी ना हो ।

2 अप्रेल 2018 के भारत बंद को मैं खुलकर अपना समर्थन व्यक्त करता हूँ …!

                                 बाबुल इनायत
                                9507860937
धार्मिक जुलूस धीरे धीरे भय का प्रतीक बनता जा रहा है
अभी रामनवी के मौके से मुल्क के कई हिस्सों में छिट पुट दंगे हुए और होने को हैं प्रशाषन अक्सर जगहों पर फेल है
ऐसे संगीन हालात में हम सिर्फ किसी सरकार को दोष देकर बरी नही हो सकते आखिर कौन से तत्व हैं जो हमे लड़ाना चाहते हैं ?

क्या बहुसंख्यक समाज इतना असहाय लाचार और बीमार हो चुका है कि चन्द दंगाई इन्हें अपनी मर्ज़ी के मुताबिक हांक रहा है ...

 जब बार बार हमें ये बात बताई जाती है कि बहुसंख्यक का बेश्तर हिस्सा अभी भी अत्यंत सेक्युलर है तो ,फिर ऐसे मौकों से बेश्तर अत्यंत सेक्युलर तबका किस ग्रह पर चला जाता है ?

 चन्द दंगाई मिलकर पूरे शहर को आग लगा देते हैं एक वर्ग विशेष को भयभीत करने की कोशिश करते हैं ,अखहिर ऐसे मौकों से वो लोग कहाँ छुप जाते हैं जो गंगा जमुना की मिसाल देते हैं ?

क्या वर्ग विशेष ये मान ले कि बहुसंख्यक समाज का बेश्तर हिस्सा दंगाई बन चुका है या बनने की राह पर अग्रसर है ....


 यहां सवाल डायरेक्ट बहुसंख्यक समाज के नियत पर उठता है कि जब दंगे करने वाले चन्द लोग हैं तो आप उन्हें रोक क्यों नही लेते ,,,

आप का चुप रहना मौन समर्थन समझा जाएगा ,,आप खुद ही कहते हैं कि दंगाई नगण्य हैं तो फिर ये मिट क्यों नही जाते ,,, ये दिन ब दिन मजबूत कैसे होते जा रहे हैं ,,  ?

 क्या हम ये मान लें कि अक्सर बहुसंख्यक साम्प्रदायिक हो चुका है ?

ये चन्द सवालात हैं जो बहुसंख्यक समाज को कटघडे में खड़ा करने के लिए काफी है  , जो लोग सेकुलरिज्म की डफली पीटते हैं उन्हें चाहिए कि अन्तर्वलोकन करें ,।।।



Monday, March 26, 2018

लोकतंत्र क्या है



एक दिहाती चच्चा पुछे लोकतंत्र क्या है ?
लोकतंत्र शब्दिक अर्थ है लोगो का शासन पर इसका अर्थ ये नही है कि लोग एक दुसरे पर सासन करें बल्कि लोकतंत्र का तात्पर्य ऐसी सासन व्यवस्था से है जिसमे देश की लोगो की परोक्ष या अपरोक्ष रूप से समान भागीदारी हो इसमे दलित,अल्पसंख्यक, पिछङा महिलाएँ सहित समाज के अन्य सभी वर्गो की समान भागीदारी होती है हमारी लोकतांन्त्रिक व्यवस्था मे सभी वस्तु 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग अपने मत का प्रयोग करके अपने प्रतिनीधियों को चुनते है। चुने हुए प्रतिनीधी मिलकर देश के लिये कानून बनाते है ये कानून भी अधिकांस चुने हुए प्रतिनीधियो की सहमति से बनाते है। लोग अपनी मर्जी से कानून नही बना सकते है इसके लिये बहुमत द्वारा निर्णय करने का अधिकार सबको बराबर मिलता है। लोकतंत्र मे व्यक्तिगत निर्णय नही अपितु सामूहिक निर्णय महत्व रखता है लोकतंत्र मे कानून का पालन होता है किसी व्यक्ति विषेस या फिर बदमास नेताओ के आदेशो का नही।


●चच्चा पुछे तो ये बताओ हमारे देश मे लोकतंत्र कब आया ;-

हमारे देश मे लोकतंत्र की नींव एक दिन मे नही पङी हमने कहा इसकी नींव अंग्रेजो से लङते हुए आजादी के समय मे पङी थी और लोकतंत्र को लाने वाले एक सख्स की बहुत बङी भुमिका है वो शख्स है हम सबके बाबा भीम राव अम्बेडकर साहब, कारण यह था की इस आजादी का मुख्य आधार लोगो की सक्रिय भागीदारी थी पुराने समय मे जब राजा राज्य करते थे वे अपने कुछ खास लोगो की राय मसोरा करके कानून बनाते थे राजा के बेटा उस राज्य का राजा बनकर ऐसा ही करता था कानून बनाने या कानून लागू करने मे लोगो की कोई भागीदारी नही रहती थी पर लोगो को उस कानून का पालन करना पङता था अत: हमारे नेताओ ने खासकर बाबा साहब ने यह तय किया कि देश का शासन देश के लोगो के हाथो मे होगा तभी हमे लोकतंत्र स्थापित करने की प्रेरणा मिली क्यो कि यही एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे सर्वसाधारण को अधिकतम भागीदारी का असर मिलता है। आजादी के बाद लोकतंत्र की स्थापना करने के लिये देश का संविधान बाबा साहेब के हाथो लिखा गया संविधान को लिखने वाले बाबा साहब को भी चुना गया था लोगो के द्वारा ही संविधान मे केन्द्रिय और प्रान्तिय दोने प्रकार की सरकारो को बनाने और चलाने मे कानून दिये गये है संविधान के कानून सबसे ऊँचे है ये कानून देश के सभी लोगो को समान रूप से मानने पङते है ऊनके भी जो ये कानून बनाये है यदि कोई भी व्यक्ति कानून तोङता है तो उसे कानून के अनुसार सजा मिलती है।


●चच्चा फिर पुछे की बाबा हम ये कैसे कह सकते है कि हमारे देश मे लोकतंत्र है? :-
 चच्चा हमारे बाबा साहब ने संविधान मे भारत को एक लोकतंत्रात्मक देश घोषित किये है और इस संविधान मे लोकतंत्र के उन आधार स्तम्भो की चर्चा की गई है जो लोकतंत्र के लिये जरूरी है। चच्चा ने पुछा ये आधार स्तम्भ क्या है जरा समझाओ इसे ठीक से चच्चा के साथ और लोग बैठे थे सब ध्यान से सुन रहे थे ठीक है अच्छा ध्यान से सुनिये। लोकतंत्र का पहला आवश्यक आधार स्तम्भ है (स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव) भारतिय संविधान के तहत भारत मे एक लोकतंत्रात्मक सरकार की स्थापना की गई है ऐसी सरकार लोगो के प्रतिनीधियो द्वारा संचालित होती है जिनका निर्वाचन आयोग चुनाव लोगो द्वारा किया जाता है इस कार्य के संचालन के लिये भारतीय संविधान ने चुनाव आयोग की व्यवस्था की है। मालूम है भारत जैसे बङे और विकाससील देश मे एक संसदीय चुनाव कराने मे 10,000 करोङ रुपये से अधिक धनराशि खर्च होती है चुनाव आयोग यह सुनिस्चित करता है कि देश मे होने वाले चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पच्छ हो। इसके लिये चुनाव आयोग चुनाव मे होने वाले व्यय की सीमा तय करता है जिसका राजनितीक दलो एवं प्रत्यासियो द्वारा पालन किया जाता है चुनाव प्रक्रिया की निस्क्रियता सुनिस्चित करने के लिये यह जरूरी है। कि पर्याप्त मात्रा मे पुलिस एवं चुनाव अधिकारी नियुक्ति किये जाएँ। किसी भी प्रकार के चुनाव विवादो मे चुनाव आयोग तथा उच्चतम न्यायालय की भुमिका सर्वोपरि होती है। आईये अब EVM मसीन की बात करें जिससे आपका मत पङता है जो कि इस समय जो ये सरकार है ये EVM मे छेङछाङ करके सरकार बनाने मे माहिर है देहाती मे कहा जाये तो लूट, घसोट, बेईमानी करती है। और हम सबके मतो को गलत प्रयोग करती है और लोकतंत्र को खतरा पहुँचाती है और हम सबके बाबा साहेब के संविधान के कानूनो को तार-तार करती है। E V M ये एक डिब्बे की तरह मशीन है जिसमे एक तरफ राजनितीक दलो के नाम एवं उनके चुनाव चिन्ह के सामने एक निले रंग का बटन होता है जिसको दबाने से हम इच्छानुसार कीसी भी दल किसी भी प्रत्यासी को अपना मत दे सकते है। नीला बटन सिर्फ एक बार ही दबाया जा सकता है अत: इस प्रकार सिर्फ एक ही दल के पक्ष मे एक ही व्यक्ति द्वारा एक ही मत दिया जा सकता है।


●फिर चच्चा पुछे लोकतंत्र मे राजनितीक दल क्या काम आते है ? :-
चच्चा सुनिये किसी भी विशाल समाज मे लोग व्यक्तिगत रूप से सार्वजनिक जीवन को प्रभावित नही कर सकते परन्तु दुसरो से मिलकर यह सम्भव हो सकता है यही काम राजनैतिक दल करते है। राजनैतिक दल,राजनैतिक पद एवं प्रभाव पाने के उद्देश्य से समान विचार रखने वालो के साथ मिलकर कार्य करते है इसके अलावा चुनाव के समय ये राजनैतिक दल अपने- अपने विचार कार्यक्रमो एवं नितीयो को लोगो के समक्ष रखते है अब जैसे इसे समय आप देख लिजीये भाजपा वालो का विचार है। हिन्दू, मुस्लिम, गाय,गोबर समसान कब्रिस्तान ये पाखंण्डियो का विचार है जनता के प्रति और वही समाजवादी विचार धारा के राजनिती पार्टीयो के विचार जैसे की RJD,SP,BSP हो गये ये ऐसी पार्टीयाँ है। की सबको समान तरह से देखती है हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मे है सब भाई भाई के नजरो से नफरतो को खत्म करने का काम ये पार्टी वाले और इसके जो अध्यक्ष है वो खूद दलित पिछङा से आते है तो जाहिर सी बात है कि अपने बहन भाई दलित पिछङे अल्पसंख्यको को पढने लिखने मे खाने पिने मे उच्च एवं बेहद खूबसूरत व्यवस्था करवाना उनका फर्ज बनता है। और करवाते भी आप देख भी सकते है। सुनिये चच्चा जिस दल के सबसे ज्यादा प्रतिनीधी चुने जाते है वही दल सरकार बनाता है चाहे वो राज्य का विधानसभा चुनाव हो या फिर देश की लोकसभा चुनाव हो और बाकी के जो दल होते है वो दल विपक्षी दल के रूप मे कार्य करते है ये विपक्षी दल जो सरकार मे बैठे दल को अपने मनमानी करने से संसद या फिर विधानसभा मे आवाज उठाते है सरकार को अपनी मनमानी करने से रोकते है।

●चच्चा का सवाल पर यदि किसी भी दल का बहुमत न हो तो ? :-
सुनिये चच्चा ऐसे मे समान विचारो वाले दल आपसी विचार विमर्ष से अपना एक नेता चुनते है और सरकार बनाते है कहा जाये तो गठबंधन या महागठबंधन भी कह सकते है। ऐसा भी होता है कि जिस दल को मतदाताओ के सबसे कम मत मिलते है वह भी अन्य दलो से एक समझौते के तहत अपनी सरकार बना लेते है।

●फिर चच्चा पुछे की बाबा ये बताओ इन दलो की चौपाल जरूर लगती होगी? चच्चा ने एकदम उत्सुकतावश पुछा। :-

हमने हसते हुए कहा हाँ क्यू नही चौपाल लगायेंगे बिना चौपाल लगाये कैसे अपने विचार विमर्ष और लोगो को संगठित होना बतायेंगे इन सारे दलो के चुने हुए प्रतिनीधि नई दिल्ली स्थित सासंद भवन मे बैठते है भारतीय लोकतंत्र मे संसद लोगो की सर्वोच्च्च प्रतिनीधी संस्था है। ये प्रतिनीधी लोगो की विचारो से सरकार को संसद के माध्यम से अवगत कराते है सरकार अपने कार्यो के लिये संसद के प्रति उत्तरदायी होती है कोई भी सरकार संसद के माध्यम से ही देश का सासन चलाती है।

●चच्चा फिर सवाल पुछ लिये बाबा ये बताओ की हमारे गाँव की सफाई और ये जो तालाब है उसकी सफाई करवाने के लिये हमे नई दिल्ली जाना पङेगा ? :-

हमने जवाब दिया कि अरे नही चच्चा आप मोदी जी थोङी नही है की आपको विदेश जाना पङेगा अगर आपको अपने गाँव के तालाब की सफाई करवानी है तो आप अपने गाँव के सदस्य या फिर जो गाँव के मुखिया प्रधान के रूप मे होता है उससे कहकर करवा सकते है तो चच्चा बोले की अरे बाबा ये प्रधान तो किसी का सुनता ही नही ये बोलता है कि हमे अब चुनाव नही लङना है हम काम क्यू करवायें आपका हम ये बात सुनते ही बोले अरे बाप रे ये तो लोकतंत्र को खतरा पहुँचा रहा है आपका प्रधान ये अगर अबकी बार चुनाव लङे तो भी अपना मत इसे अबकी बार ना देना ऐसे ही लोग लोकतंत्र को खतरा पहुँचाते है आइये आगे बताते है आपको भारतीय लोकतंत्र मे प्रत्येक भारतीय नागरिक को कुछ मूल अधिकार दिये गये है जैसे- नागरिक,राजनैतिक,समाजिक, आर्थिक, सांसकृतिक अधिकार यही मौलिक अधिकार लोकतंत्र का दुसरा स्तम्भ है। राजनैतिक राज्य व्यक्तियो तथा समूहो के कार्यो मे हस्तक्षेप न करने के लिये प्रसिद्ध है।

●चच्चा पुछ रहे है कि बाबा ये बताओ क्या हम भी सबके तरह चुनाव लङ सकते है ? :-

हमने कहा हाँ क्यो नही लङ सकते आप यह तो सभी का अधिकार है चाहे स्त्री हो या पुरूष।

●चच्चा पुछे पर यदि हमे कोई चुनाव लङने ले रोके तो ? :-

हमने जवाब दिया रोकेगा क्यो यह तो आपका मौलिक अधिकार है आपके पास बाबा साहेब का संविधान है आपको डरने की जरूरत नही है आप एक स्वतंत्र देश के स्वंतंत्र नागरिक है आपको डरने की जरूरत नही है किसी से जब आपका मन है तो आप चुनाव लङिये लोकतंत्र मे सबको चुनाव लङने का अधिकार मिला है। भारतिय संविधान ने नागरिको के मूल अधिकारो की सुरक्षा का भार न्यायपालिका को सौंपा है जनता को सामान्य न्याय दिलाने हेतु न्यायपालिका को सरकार के दबाव और नियंत्रण से स्वतंत्र रखा गया है जिससे वह निष्पक्ष एवं निर्भयतापुर्ण न्याय दे सके इस लिये सर्वोच्च न्याय पालिका को केन्द्र तथा राज्यो मे से किसी एक के भी अधिन नही रखा गया है। (स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र का तिसरा महत्वपुर्ण स्तम्भ है)।


●चच्चा ने अचानक पूछा बाबा ये बताओ मिडीया या संचार माध्यम के बारे मे अक्सर सुनते है ये क्या है बाबा ? :-

हमने जवाब दिया आपने बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है कल आपने देखा होगा की टीवी पर मैच आ रहा था भारत ने कितना अच्छा खेला मैच के जितने पर गाँव के लङके ने खुशी मे पटाखे भी छोङे होंगे चच्चा ने कहा हाँ बाबा हाँ हमने खेत मे रेडियो पर मैच के बारे मे सुन रहा था हमने कहाँ यही रेडियो, टेलिवीजन, अखबार पत्र - पत्रिकाये,बैनर पोस्टर संचार माध्यम या मिडीया है। जिसके माध्यम से हम सुचनाओ का प्रचार प्रसार करते है। लेकिन चच्चा आज की गोदी मिडीया आपको अच्छी चीज नही दिखाती ये हिन्दू मुस्लिम का डिबेट दिखाती कहाँ कम दंगा हुआ है वो दिखाती है मतलब की ये लोग भी कुल मिलाकर लोकतंत्र को खतरा पहुँचा रहे है आप समझ रहे है ना चच्चा हा बाबा समझ रहे है। एक बात और इस लोकतांत्रिक देश मे संचार माध्यम (मिडीया) व पत्रकार स्वतंत्र रूप से कार्य करते है नकि गोदी सरकार के दबाव मे करेंगे अगर ऐसा हो रहा है तो ये लोकतंत्र के लिये बहुत भयावह है लोकतंत्र मे इनका काम ये है कि जनता के सभी प्रकार के विचारो कोे सरकार के पास पहुचाने का काम करते है तथा सासन पर सार्वजनिक दबाव का माध्यम होते है और यही लोकतंत्र का चौथा आधार स्तम्भ है। संविधान मे भारतीय नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है चाहे वो किसी भी माध्यम से दे सके परन्तु वह न्यायालय और संसद की अवमानना या मानहानि नही कर सकता है। यदि सरकार जनता की बात नही सुनती तो जनता इसका विरोध सभाओ, प्रदर्शनो, जुलूसो, तथा आंन्दोलनो द्वारा कर सकती है किन्तु ये आन्दोलन पूर्णतया शाँन्ति पूर्ण होने चाहिये। लेकिन ये जो अभी सरकार है मोदी जी की सरकार जनता की एक भी बात नही सुन रही है चार साल हो गये सरकार बनाये हुए किसानो का कर्ज तक नही माफ कर रही है। सत्ता मे आने के लिये जनता से बङे बङे वादे करके सत्ता मे बैठी थी अब सभी वादो को जुमला करार दे रही है। जनता का अपमान ऊपर से कर रही है किसान, छात्र, छात्राये सान्ति पुर्ण आंन्दोलन करके अपना हक माँग रहे है तो पुलिसीया डंन्डा चलवाती है आंन्दोलनकर्तो के ऊपर डंडे बरसाती फिर रही है। तो क्या ऐसी सरकार आपको चाहिये जो लोकतंत्र को खतरे मे डाल रही है। संविधान के कानूनो को तार तार कर रही है और कुछ सत्ता के दंगाई जो होते है वो दुसरे ढंग से प्रदर्शन करते है रेलगाङी, बस, ट्रक तोङ- फोढकर आग लगाकर तथा इतिहास से जुङी इमारतो पर पोस्टर वगैरा चपकाकर विरोध करते है कत्तई ऐसा नही करना चाहिये आपको संविधान के कानून के दायरे मे रहकर कर प्रोटेस्ट करना चाहिये। अभी की बात है कि रामपुर गाँव मे रामू काका को कई महिनो से उन्हे पेंशन नही मिली। उन्होने शहर जाकर ये खबर छपवाई खबर पढकर पेंशन विभाग मे खलबली मच गई। जाँच करने पर विभाग के लोगो को गलती मालूम हुई नतीजा यह हुआ की काका को विभाग से पत्र मिला कि वे अपनी बकाया पेंशन विभाग मे आकर तत्काल प्राप्त कर लें। देखा कैसे प्रशासन तंत्र मे जवाबदेही लाये। यदि शासन जनमत की इच्छा की लगातार अवहेलना करता है तो अगले चुनाव मे उन लोगो को जनता दुबारा नही चुनेगी जैसे आप इस समय मोदी सरकार को कह सकते है। किन्ही और लोगो को अपना मत देकर विजयी। बनायेगी यही जन प्रतिनिधीयों मे जवाबदेही लाने का तरीका है ।


●चच्चा कहेन बाबा अब समझे लोकतंत्र क्या है (लोगो का लोगो के द्वारा लोगो के लिये शासन है लोकतंत्र) :-

हमने कहा हाँ बिल्कुल सही कहा आपने पर मात्र लाकतांत्रिक ढाँचा बना लेने से सही अर्थो मे लोकतंत्र सुनिश्चित नही होता है। इसके लिये यह जरूरी है की प्रत्येक नागरिक अपने कर्त्वयो एवं दायित्यो के प्रति जागरूक हो वह स्वयं निर्णय लेने की क्षमता रखता हो और यह तभी संम्भव है जब वह शिक्षीत एवं जागरूक होगा शिक्षीत व्यक्ति को न केवल अपने देश की समस्याओ की सही जानकारी होती है बल्कि उनको सुलझाने मे भी अपना योगदान दे सकता है। शिक्षीत व्यक्ति किसी के बहकावें मे आकर उसे वोट नही देगा वह अपने से उचित अनुचित प्रत्याशियो का निर्णय करेगा इसलिये लोकतंत्र को मजबूत बनाने मे शिक्षा का महत्व सबसे अधिक है तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। अब्राहम लिंकन साहब कहे है-: तुम बेवकूफ बना सकते हो सभी लोगो को कुछ समय के लिये कुछ लोगो को हमेशा के लिये लोकिन सभी लोगो को हमेशा के लिये नही। ये मोदी जी के लिये लिखे है अब्राहम लिंकन साहब का लेख।

●चच्चा आगे आईये सर्वधर्म समभाव-:

लोकतंत्र की सफलता के लिये शिक्षा के अतिरीक्त नागरिको मे परस्पर धार्मिक सद्भाव का होना भी आवस्यक है।दुसरे शब्दो मे कहे कि उनमे पंथ निरपेक्षता की भावना होनी चाहिये। इसका सिधा अर्थ यह है कि-- सभी व्यक्तियों को अपने- अपने विस्वास के अनुसार अपना धर्म का पालन व प्रचार- प्रसार करने की स्वतंत्रता होगी। धर्म के आधार पर कोई किसी से भेदभाव नही करेगा। राज्य किसी भी धर्म को विशेष प्रोत्साहन नही देगा।


●समाजिक समरता और आर्थिक समानता :-

लोकतंत्र मे धार्मिक स्वतंत्रता के साथ-साथ समाजिक समानता का भी होना आवस्यक है। समाजिक समता के अभाव मे लोकतंत्र कमजोर हो जाता है विगत कई शताब्दियों से हमारे समाज मे अनेक प्रकार की असमानताएँ विद्यमान रही है। धर्म जाति और लिंग पर आधारित भेदभाव हमारी समाजिक व्यवस्था को प्रभावित करते रहे है। इसके कारण मानव व मानव के बीच दूरी बढती गई लेकिन ऐसा हम लोग को नही करना चाहिये मिल जुल कर रहना चाहिये। जो राष्ट्रीय एकता और समाजिक प्रगती के मार्ग मे बहुत बङी बाधा सिद्ध हुई। इस भेदभाव को समाप्त, खत्म करने के लिये सभी जातियो को समान अवसर व स्थान दिये जाने चाहिये। पर दिया नही जा रहा है दलितो पिछङो के ऊपर कितना बर्बर तरिके से पेश आते है लोग। यदि देश मे असमान आय वितरण होगा यानि कुछ लोग बहुत अमीर और ज्यादा लोग गरीब होंगे। तब भी लोकतांत्रिक व्यव्स्था कमजोर होगी लोग असंतुष्ठ होकर अपनी सांन्ति भंग कर सकते है सरकार के ऊपर अपना गुस्सा भी दिखा सकते है।

● (लोकतंत्र का भविष्य कुछ चुनौतियाँ):-

 हम सबको अपनी स्थिती मे सुधार लाने के लिये जरूरी है कि हम सही नेताओ का चुनाव करें मोदी जी जैसे नेताओ को तो कभी भूल से भी ना चुने जो जनता को धोखा देने मे माहिर है और लोकताँत्रिक व्यवस्था को तार तार करने मे माहिर है लोकतंत्र को कमजोर करते है ऐसे नेता। यदि आप सबको सही नेताओ को चुनने के लिये कोई ठीक विकल्प नही मिलता है या चुने हुए प्रतिनिधी अक्षम है तथा उनमे बदलाव लाने की दृढ़ इच्छा नही है। तब लोकतंत्र एक अनुपयोगी व महँगा ढाँचा सिद्ध होता है।अत: हमे याद रखना कि एक जवाबदेह लोकताँत्रिक व्यवस्था लाना हमारा महत्वपूर्ण दायित्व है। इस जिम्मेदारी को हमे निभाना चाहिये इससे हम बच नही सके ।

                               बाबुल इनायत
                              9507860937
         सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

            

लालू नाम है उस इंसान का जिन्हें जेल ओर हॉस्पिटल में स्लो पोवाईजन देकर मौजूदा निजाम मार डालने की साजिश रच रही है। बाबुल इनायत

आज़ाद हिंदुस्तान के किसी भी सूबे के उस मुख्यमंत्री का नाम बताओ जिन्होंने अपने पहले ही कार्यकाल के पहले दो वर्षों में ही पांच-पांच विश्वविद्यालय खोल दिए। नहीं मालूम है या जानबूझकर आपको आज तक मनुवादी से लेकर ख़ुद को प्रगतिशील कहने वाली मीडिया तक, किसी ने भी बताना ज़रूरी नहीं समझा? लालू नाम है उस इंसान का जिन्हें जेल और हॉस्पिटल में स्लो प्वॉइजन देकर मौजूदा निजाम मार डालने की साज़िश रच रही है। तुम यूं ही चुप बैठे रहोगे, कायरो, कृतघ्नो! तुम्हें मालूम भी है कि उसी शख़्स की शरीक़े-हयात जिन्हें मीडिया ने तुम्हारे सामने 'जाहिल-अनपढ़-गंवार-दब्बू' के रूप में पेश किया; ने सत्ता संभालने के 8 महीने के भीतर 1998 में एक और युनिवर्सिटी खोलने का काम किया, नाम है- मौलाना मजहरूल हक़ अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, पटना! कब तक झाल बजाते रहोगे 24 कैरटिया कीर्तनिया मंडली में! निकलो बाहर और दक्षिण की तरफ नज़र दौड़ाओ। चंद्रबाबू ने राह अलग पकड़ी, तो बेटे के ऊपर छापे पड़ने शुरू हो गए। कल तक वो दूध के धुले थे। इ तोतवन की असलियत पकड़ो-बूझो और गांव-जवार में जाके समझाओ-बताओ। कब तक पटना विलासिता के रंग में डूबा रहेगा और तुम्हारी पूंजी लुटती रहेगी! लखनऊ तो संभल रहा है, पटना तुम डगमगाओ मत। बताओ, कल का छोरा मुख्यमंत्री को आंख दिखा रहा है। किन्ने सुतल है महराज कि उ भी नाम के मुताबिक़ मनुए है! बड़ा ला एंड आडर का होहल्ला कइले था। लालू इहे सब नै होने देते थे तो बड़ा भकभकाते रहता था पोंगापंथी। अब देख भाई, उ सब के विरोध करते-करते तू भी ओकरे ऐसन मत हो जाना। नै तो फिर लालू की लड़ाई का मतलब का रह जाएगा! इरादे नहीं बदलने चाहिए, हौसले नहीं चकनाचूर होने चाहिए। जुल्म करो मत जुल्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो क़दम-क़दम पर लड़ना सीखो। लोहया
बाबुल इनायत
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सोशल मीडिया प्रभारी,राजद अररिया बिहार

Sunday, March 25, 2018

बीजेपी को अब फेसबुक लीक डेटा की चिंता हो रही है। बाबुल इनायत

फेसबुक पर लाखों फेक प्रोफ़ाइल, हजारों फर्जी पेज और सैकड़ों चिरकुटिया न्यूज पोर्टल के द्वारा छद्म हिंदुत्व और नकली राष्ट्रवाद का झूठ फैलाने वाली बीजेपी को अब फेसबुक लीक डेटा की चिंता हो रही है। कानून मंत्री को लगता है फेसबुक से अब चुनाव को प्रभावित किया जाएगा। जुकरबर्ग को तलब करने की सूखी भभकी दे रहे हैं। बड़ी हास्यपद बात है। फेसबुक आज भी इनके फेक प्रोफ़ाइल,पेज और न्यूज पोर्टल बन्द कर दे तो इनकी बधिया बैठ जाएगी। डरना तो इन्हें चाहिए। असल बात तो ये है कि अब ये 100 प्रोफ़ाइल से कोई फेक न्यूज,डाक्टरेट वीडियो फैलाते हैं तो 1000 लोग उसकी काट पेश कर देते हैं। इनके आईटी सेल की भी पोल खुल चुकी है। मुकाबला बराबरी का हो गया है। इसलिए इनको अब चिंता हो रही है। इतिहास में गढ़े गए मिथक टूट रहे हैं। जो गूढ़ ज्ञान चंद लोगो तक सिमटा था वो सर्वसुलभ हो व्यापक हो रहा है। सोशल मीडिया इसका एक नया मंच बनकर उभरा है। मीडिया को नियंत्रित कर अपने माफिक चलाने वाले गिरोह को सोशल मीडिया से जबरदस्त चुनौती मिल रही है। हमारे आपके जैसे करोड़ो सोशल मीडिया के पत्रकार तैयार हो चुके हैं ,जो इनकी समीक्षा करते रहते हैं। हमारी प्रोफ़ाइल में ऐसी कौन सी जानकारी है जिससे हम ख़तरा महसूस करें ? बस कुछ विज्ञापन से प्रभावित करने की ही तो बात है। असल खतरा तो आधार डेटा लीक होने से है। उसपर गिरोह कुछ नही बोलेगा। 15 फुट चौड़ी और 13 फिट ऊंची दीवार के घेरे में आधार डेटा सुरक्षित होने के ऊलूल जूलूल तर्क कोर्ट में पेश करेगा। घबराने की कोई आवश्यकता नही है। कुछ नही होगा। लिखते रहिये। लड़ते रहिये।

बाबुल इनायत
9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी,राजद अररिया बिहार

Saturday, March 24, 2018

लालू प्रसाद गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे है अगर उनके स्वास्थ्य का उचित ख़्याल नहीं रखा गया तो गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। बाबुल इनायत

लालू जी के वक़ील ने सुनवाई के दौरान उनके पुराने नहीं अपितु वर्तमान स्वास्थ्य हालात के बारे में कोर्ट को बताया। जैसे की वो diabetic है। शरीर में पानी रखने की क्षमता नहीं है जो किड्नी को नुक़सान पहुँचा रही है। उन्हें बेहतर ईलाज के लिए AIIMS, दिल्ली भेजा जाना चाहिए। लालू प्रसाद गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे है अगर उनके स्वास्थ्य का उचित ख़्याल नहीं रखा गया तो गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।
ये सब बीजेपी शासित झारखंड के सरकारी अस्पताल के सुझाव और रिपोर्ट है। लेकिन कोर्ट ने सीबीआई के वक़ील की दलील को प्राथमिकता दी जो कहती है कि लालू स्वस्थ है। वो केंद्र सरकार के विरुद्द विपक्ष की लामबंदी की अगुवाई कर रहे है। और तो और उन्होंने विगत अगस्त महीने में देश की 20 पार्टियों को बुलाकर पटना में बड़ी रैली आयोजित की। वो केंद्र और राज्य सरकार के ख़िलाफ़ लगातार आक्रामक रहते है। बताइये भला, अब भी आप भाई लोग कह रहे है लालू जी भ्रष्टाचार के मामले में जेल गए है।

राजद सांसद अररिया सरफराज आलम की समीक्षा बैठक नरपतगंज में। बाबुल इनायत

आज राष्ट्रीय जनता दल अररिया के सांसद जनाब सरफराज आलम जी का समीक्षा बैठक नरपतगंज में था जिसमे मैं बाबुल इनायत ने भी भाग लिया मौके पे युवा राजद जिला अध्यक्ष, पूर्व राजद जिला अध्यक्ष,राजद प्रखंड अध्यक्ष, पंचायत अध्यक्ष एवं महागठबंधन के सैकड़ो नेेता एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे ।
बाबुल इनायत
9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

Friday, March 23, 2018

विश्व क्षयरोग दिवस आज

विश्व क्षयरोग दिवस आज
टी.बी. का पूरा नाम है ट्यूबरकुल बेसिलाइ। यह एक छूत का रोग है और इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित होता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। टी.बी. रोग को अन्य कई नाम से जाना जाता है, जैसे तपेदिक, क्षय रोग तथा यक्ष्मा।

दुनिया में छह-सात करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रस्त हैं और प्रत्येक वर्ष 25 से 30 लाख लोगों की इससे मौत हो जाती है। देश में हर तीन ‍िमनट में दो मरीज क्षयरोग के कारण दम तोड़ दे‍ते हैं। हर दिन चालीस हजार लोगों को इसका संक्रमण हो जाता है।

टी.बी. रोग एक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। इसे फेफड़ों का रोग माना जाता है, लेकिन यह फेफड़ों से रक्त प्रवाह के साथ शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकता है, जैसे हड्डियाँ, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियाँ, आँत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि।

टी.बी. के बैक्टीरिया साँस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खाँसने, बात करने, छींकने या थूकने के समय बलगम व थूक की बहुत ही छोटी-छोटी बूँदें हवा में फैल जाती हैं, जिनमें उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रह सकते हैं और स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में साँस लेते समय प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं।

रोग से प्रभावित अंगों में छोटी-छोटी गाँठ अर्थात्‌ टयुबरकल्स बन जाते हैं। उपचार न होने पर धीरे-धीरे प्रभावित अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं और यही मृत्यु का कारण हो सकता है।

टी.बी. का रोग गाय में भी पाया जाता है। दूध में इसके जीवाणु निकलते हैं और बिना उबाले दूध को पीने वाले व्यक्ति रोगग्रस्त हो सकते हैं।

विशेष :
●भारत में हर साल 20 लाख लोग टीबी की चपेट में आते हैं 
●लगभग 5 लाख प्रतिवर्ष मर जाते हैं। 
●भारत में टीबी के मरीजों की संख्या दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा है। 
●यदि एक औसत निकालें तो दुनिया के 30 प्रतिशत टीबी रोगी भारत में पाए जाते हैं।

टी.बी. रोग के कारण

●टी.बी. रोग के यूँ तो कई कारण हैं, प्रमुख कारण निर्धनता, गरीबी के कारण अपर्याप्त व पौष्टिकता से कम भोजन, कम जगह में बहुत लोगों का रहना, स्वच्छता का अभाव तथा गाय का कच्चा दूध पीना आदि हैं।

●जिस व्यक्ति को टी.बी. है, उसके संपर्क में रहने से, उसकी वस्तुओं का सेवन करने, प्रयोग करने से।

●टी.बी. के मरीज द्वारा यहाँ-वहाँ थूक देने से इसके विषाणु उड़कर स्वस्थ व्यक्ति पर आक्रमण कर देते हैं।

●मदिरापान तथा धूम्रपान करने से भी इस रोग की चपेट में आया जा सकता है। साथ ही स्लेट फेक्टरी में काम करने वाले मजदूरों को भी इसका खतरा रहता है।

रोग का फैला

टी.बी. के बैक्टीरिया साँस द्वारा फेफड़ों में पहुँच जाते हैं, फेफड़ों में ये अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं। इनके संक्रमण से फेफड़ों में छोटे-छोटे घाव बन जाते हैं। यह एक्स-रे द्वारा जाना जा सकता है, घाव होने की अवस्था के सिम्टम्स हल्के नजर आते हैं।

इस रोग की खास बात यह है कि ज्यादातर व्यक्तियों में इसके लक्षण उत्पन्न नहीं होते। यदि व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो तो इसके लक्षण जल्द नजर आने लगते हैं और वह पूरी तरह रोगग्रस्त हो जाता है। ऐसे व्यक्तियों के फेफड़ों अथवा लिम्फ ग्रंथियों के अंदर टी.बी. के जीवाणु पाए जाते हैं,

कुछ लोगों जिनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति ज्यादा होती है, में ये जीवाणु कैल्शियम के या फ्राइब्रोसिस के आवरण चढ़ाकर उनके अंदर बंद हो जाते हैं। जीवाणु शरीर में फेफड़े या लिम्फ ग्रंथियों में रहते हैं। फिर ये हानि नहीं पहुँचाते, ऐसे जीवणुओं के विरुद्ध कुछ नहीं किया जा सकता।

ये जीवाणु शरीर में सोई हुई अवस्था में कई वर्षों तक बिना हानि पहुंचाए रह सकते हैं, लेकिन जैसे ही शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर होती है, टी.बी. के लक्षण नजर आने लगते हैं। यह शरीर के किसी भी भाग में फैल सकता है।

टी.बी. के लक्षण ब्रोंकाइटिस, न्यूमोनिया और फेफड़ों के कैन्सर के लक्षण से मिलते हैं, इसलिए जब किसी अन्य रोग का पक्का निदान न हो पाए तो इसके होने की संभावना होती है।
टी.बी. के लक्षण
●भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
●बेचैनी एवं सुस्ती छाई रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट रहना व रात में पसीना आना।

●हलका बुखार रहना, हरारत रहना।

●खाँसी आती रहना, खाँसी में बलगम आना तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खाँसी में खून आ जाना।

●गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।

●गहरी साँस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।

●महिलाओं को टेम्प्रेचर के साथ गर्दन जकड़ना, आँ खें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।

●पेट की टी.बी. में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।

●टी.बी. न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खाँसी व छाती में दर्द होता है।

टी.बी. का उपचार
●टी.बी. के उपचार की शुरुआत सीने का एक्स-रे लेकर तथा थूक या बलगम की लेबोरेटरी जाँच कर की जाती है।
●आजकल टी.बी. के उपचार के लिए अलग-अलग एंटीबायोटिक्स/एंटीबेक्टेरियल्स दवाओं का एक साथ प्रयोग किया जाता है। यह उपचार लगातार बिना नागा 6 से 9 महीने तक चलता है।

●इस रोग की दवा लेने में अनियमितता बरतने पर, इसके बैक्टीरिया में दवाई के प्रति प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न हो जाती है। 

●इससे बैक्टीरियाओं पर फिर दवा का असर नहीं होता। यह स्थिति रोगी के लिए खतरनाक होती है। एंटीबायोटिक्स ज्यादा प्रकार की देने का कारण भी यही है कि जीवाणुओं में प्रतिरोध क्षमता पैदा न हो जाए।

उपचार के दौरान रोगी को पौष्टिक आहार मिले, वह शराब-सिगरेट आदि से दूर रहे।
● बच्चों को टी.बी. से बचने के लिए बी.सी.जी. का टीका जन्म के तुरंत बाद लगाया जाता है। अब ये माना जाने लगा है कि बीसीजी के टीके की इसमें कोई भूमिका नहीं है।

●टीबी की रोकथाम के लिए मरीज के परिवारजनों को भी दवा दी जाती है, ताकि मरीज का इन्फेक्शन बाकी सदस्यों को न लगे जैसे पत्नी, बच्चे व बुजुर्ग अदि। इसके लिए उन्हें आइसोनेक्स की गोली तीन माह तक दी जाती है।
Babul Inayat
+91 9507860937
Social Media Incharge RJD Araria Bihar


अगर आपको शांति चाहिए तो न्याय के लिए आवाज उठाइए ।

अगर आप अमेरिका की जेलों को देखें तो वहां ज्यादातर काले लोग बंद हैं अगर आप भारत की जेलों को देखें तो जेलों में ज्यादातर आप को दलित आदिवासी मुसलमान और गरीब लोग मिलेंगे आखिर क्या कारण है कि हमारी जेलों में वही लोग बंद हैं जो सामाजिक तौर पर कमजोर हैं और आर्थिक तौर पर जिन्हें मेहनती होने के बावजूद गरीब बनाकर रखा गया है ध्यान दीजिए कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम दूसरों की मेहनत से जो अमीर बने बैठे हैं हम जानबूझकर गरीबों में खौफ पैदा करने के लिए उन्हें जेलों में ठूंस देते हैं सारी दुनिया का अनुभव तो यही बताता है सबसे खतरनाक बात यह है कि दलितों आदिवासियों मुसलमानों को जेल में छोटे-छोटे अपराधों में ठूंस देने के बावजूद इस देश के अमीर शहरी पढ़े-लिखे एलीट लोग कोई आवाज नहीं उठाते अन्याय का सामना करना अन्याय का विरोध करना हर इंसान का फर्ज है लेकिन हम अन्याय का विरोध करते समय या तो जाति या मजहब या आर्थिक वर्ग के स्वार्थ से खुद को जोड़कर चुप हो जाते हैं असल में हमारे अपने स्वार्थ इन गरीब लोगों को जेलों में ठूँसने से ही पूरे होते हैं अगर हम इस अन्याय से नहीं लड़े अगर हमने इस अन्याय को समाप्त नहीं किया तो हमारे बच्चे भी अन्याय को सहन करना और अन्याय को जारी रखना सीख जाएंगे और जो समाज अन्याय को जारी रखता है उस समाज में कभी शांति नहीं आ सकती इसलिए आप अगर अपने बच्चों को अन्याय सहना और अन्याय करना सिखा रहे हैं तो आप अपने बच्चों को एक अशांत दुनिया बनाना भी सिखा रहे हैं अगर आपको शांति चाहिए तो न्याय के लिए आवाज उठाइए ।
बाबुल इनायत
+91 9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

आप मानते हैं विकास का मतलब है औद्योगीकरण, उद्योग का मालिक कौन होगा ?

आप मानते हैं विकास का मतलब है औद्योगीकरण, उद्योग का मालिक कौन होगा ? 
अमीर,
मुनाफा किसकी जेब में जायेगा ?
 अमीर की,
इस उद्योग के लिये ज़मीन किसकी ली जायेगी ?
गरीब की,
ज़मीन कैसे ली जायेगी ?
प्रेम से या सरकारी बंदूक के दम पर ?
सरकारी बंदूक के दम पर, तो विकास का मतलब हो गया कि सरकारी बन्दूक के दम पर गरीब से ज़मीन छीन लो अमीर को दे दो, इसे ही हम अहिंसक विकास कहते हैं, इसे ही हम लोकतन्त्र कहते है, इस तरह के विकास के लिये बन्दूक चलाने वाले राजनैतिक दलों को ही हमारा समर्थन और वोट मिलता है, इसका मतलब है संसाधनों के लिये चलने वाले इस युद्ध में हम भी एक पक्ष हैं, इस विकास को, इस राजनीति को और इस तरह के लोकतन्त्र को जनविरोधी मानने वालों को हम विकास विरोधी, लोकतन्त्र विरोधी और देशद्रोही कहते हैं ၊ प्रधानमंत्री ने लाल किले से बोला कि जो हमारे विकास का विरोधी है वही देश द्रोही है ၊ और विकास का मतलब है गरीब से छीन लो अमीर को दे दो ၊ आपने बंदूक लेकर सरकार को गरीब के दरवाजे पर भेज दिया है अब गरीब उसका सामना कैसे करे ?
अब गरीब अपनी ज़मीन कैसे बचाए ?
अब गरीब अपनी जिंदगी कैसे बचाए ?
 अब गरीब अपनी बेटी की इज्जत आपके सरकारी बंदूकधारियों से कैसे बचाए ?
 देशवासियों को ज़ल्दी से इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढ लेना चाहिये, हर देश के विकास का एक क्रम होता है, पहले सभी लोग खेती करते हैं, फिर कुछ लोग खेती में से निकल कर खेती के लिये औज़ार बनाने लगते हैं, इस तरह छोटे उद्योग पैदा होते हैं, फिर छोटे उद्योगों के लिये मशीने बनाने के लिये मझोले उद्योग जन्म लेते हैं, फिर इन उद्योगों के लिये तकनीक और विज्ञान की ज़रूरत पड़ती है, फिर वैज्ञानिक बनाने के विश्वविद्यालय बनते हैं, फिर इन सब के लिये बीमा , बैंकिंग , हिसाब किताब , कम्प्युटर की ज़रूरत पड़ती है फिर उनका विकास होता है, लेकिन अगर हम फावड़ा बनाने की इजाज़त भी टाटा को दे दें, और नमक भी वही टाटा बनाएगा, विश्वविद्यालय भी वही चलाएगा, सुनारी का लुहारी का बढ़ई का सब काम वही टाटा करेगा तो जो लोग खेती से बाहर हो रहे हैं वो क्या करेंगे ?
जब इस देश में काम करने वाले करोड़ों हाथ बेरोजगार हैं तो बड़ी मशीने लगाने और रोज़गार घटाने की इजाज़त क्यों दी?
जब आप गरीबों से ज़मीने छीन कर बड़े उद्योगपतियों को सौंप देते हो तब आप उनके सामने यह शर्त नहीं रख सकते कि आपको इन उद्योगों में इस देश के लोगों को रोजगार भी देना पड़ेगा ?
 हमारी ज़मीन भी ले लेंगे, मुनाफा भी कमाएंगे, हमें रोज़गार भी नहीं देंगे, हमारी नदी भी गंदी कर देंगे, हमारी हवा भी ज़हरीली कर देंगे, हमारी सरकार और पुलिस इनकी जेब में पड़ी रहेगी, जब हम इस सब के बारे में बोलेंगे तो हमें जेल में डाल दिया जायेगा, हमें नक्सली समर्थक कहा जायेगा, हमें विकास का विरोधी बताकर गालियां दी जायेंगी, हमें इस देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा बताया जायेगा, आप भी तो इस सब के बारे में जानिये, यह देश आपका भी तो है,
बाबुल इनायत
+91 9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

भारत को सिर्फ बेरोज़गारों की एक भीड़ में तब्दील होने से बचाना होगा ! बाबुल इनायत

भारत को सिर्फ बेरोज़गारों की एक भीड़ में तब्दील होने से बचाना होगा ! नोबेलजयी अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने भारत के बारे में जो डरावनी भविष्यवाणी की है, वह किसी भी देशप्रेमी के रौंगटे खड़े कर देने के लिये काफी है । उन्होंने कहा है कि इस बात की पूरी आशंका है कि भारत बेरोज़गार नौजवानों की महज एक भीड़ बन कर रह जायेगा । क्रुगमैन का यह कहना कोई आधारहीन कल्पना नहीं है । उन्होंने कृत्रिम बुद्धि के वर्तमान युग में सिर्फ सेवा क्षेत्र के जरिये आर्थिक विकास को जारी रखना नामुमकिन बताया है । आगे सेवा क्षेत्र के अधिकांश काम कृत्रिम बुद्धि के उपकरणों के जरिये होने लगेंगे । यदि विनिर्माण (manufacturing) की अभी की तरह की अवहेलना जारी रही तो फिर भविष्य के भारत में सिर्फ बेरोज़गार पैदा होंगे । आर्थिक विकास की दर पूरी तरह से थम जायेगी । यह सच है कि आरएसएस और भाजपा को बढ़ते हुए बेरोज़गारों के हुजूम में निश्चित तौर पर अपना राजनीतिक भविष्य दिखाई देता होगा । दंगाइयों, गोगुंडों, रोमियो स्कैवड, अफ़वाहबाजों, आईटीसेल के ऑनलाइन गुंडों, हत्यारों, बलात्कारियों और षड़यंत्रकारियों की अपनी फ़ौज को तैयार करने का इससे अच्छा कच्चा माल और कहाँ मिलेगा । समाज के सारे स्तरों के उच्छिष्ट और विवेकहीन अवसरवादी पशुओं को पहले से ही वे अपने यहाँ जमा करते रहे हैं । मोहन भागवत जिस फ़ौज को तीन दिनों में तैयार कर लेने की हुंकार भर रहे थे, वह इन तत्वों की ही फ़ौज तो हैं ! बहरहाल, परिस्थितियों को फासिस्टों के हाथ में बिगड़ने के लिये यूँ ही छोड़ा नहीं जा सकता है । राष्ट्र को भविष्य की एक नई दिशा पकड़नी होगी ।
बाबुल इनायत
  9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

किसी के पिछलग्गू मत बनिए उनके विश्लेषण स्वीकार मत कीजिये अपनी बुद्धी का इस्तेमाल कीजिये। बाबुल इनायत

आज जो नक्सली हैं वो एक दिन मर जायेंगे .
 आज जो पुलिस हैं वो भी मर जायेंगे .
आज जो अमीर हैं वो भी मर जायेंगे .
आज जो गरीब हैं वो भी मर जायेंगे .
फिर से नए बच्चे जन्म लेंगे .
उनमे से फिर कुछ बच्चे जन्म से ही गरीब होंगे .
उनमे से कुछ बच्चे जन्म से ही अमीर होंगे .
उनमे से कुछ बच्चे नक्सली बनेंगे .
 कुछ बच्चे पुलिस बनेंगे .
और ये हिंसा इसी तरह चलती रहेगी क्या आप इस हिंसा को समाप्त करना चाहते हैं ?
तो क्या आपने एक वैज्ञानिक की तरह इन हिंसा के कारणों की खोज करने की कोशिश करी है ?
क्योंकि अगर आप हिंसा के कारणों को ही नहीं जानते तो उसका इलाज कैसे जानेंगे ?
हो सकता है हिंसा के कारणों के विश्लेषण के परिणाम आपकी पसंद के ना हों लेकिन वैज्ञानिक तो ये नहीं सोचता कि मैं अपनी शोध के किसी निष्कर्ष को तब स्वीकार करूँगा जब वो मेरी पसंद का होगा .
इसी तरह सच खोजते समय आपकी पसंद और नापसंद का कोई महत्व ही नहीं है जैसे अगर आप बड़ी जात के हैं, पैसे वाले हैं और शहर में रहते हैं तो आप पुलिस के पक्ष में ही बात सुनना चाहते हैं लेकिन अगर आपका जन्म बस्तर के एक गाँव में हुआ है और आपका घर पुलिस द्वारा जला दिया गया है आपकी बहन से पुलिस द्वारा बलात्कार किया गया है आपके भाई को पुलिस ने मार दिया है तो आप पुलिस के खिलाफ ही सोचने को मजबूर होंगे आपका जन्म हिंदू के घर में होगा तो आप हिन्दु धर्म को सबसे अच्छा मानेंगे आपका जन्म मुसलमान के घर में होगा तो आप इस्लाम को सबसे अच्छा मानेंगे ध्यान से देखिये हमारी सोच हमारी परिस्थिति में से निकल रही है इसलिए आप भी अब ध्यान दीजिए कि कहीं आप की भी सोच पर भी तो आपकी जाति सम्प्रदाय और आर्थिक वर्ग का प्रभाव तो नहीं है ? क्योंकि इन सब से से आज़ाद होकर एक वैज्ञानिक की तरह सोचना ही आपको सच्चा चिंतक और विश्लेषक बना सकता है सच को भी आप तभी समझ सकेंगे इसलिए अगर आप को हिंसा की समस्या का समाधान करना है तो अपनी जाति, सम्प्रदाय और आर्थिक वर्ग के खोल से बाहर आकर सोचना शुरू कीजिये हिंसा की समस्या की सच्ची समझ ही हमें सच्चे समाधान तक पहुंचा सकती है किसी के पिछलग्गू मत बनिए उनके विश्लेषण स्वीकार मत कीजिये अपनी बुद्धी का इस्तेमाल कीजिये जागरूक नागरिक बनिए समाज को हिंसा मुक्त बनाइये आने वाली पीढ़ियों को एक अच्छी दुनिया देकर जाइए ।

                             बाबुल इनायत
                            9507860937
         सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

राजनीति दो तरह की हो सकती है जानिए बाबुल इनायत की कलम से

राजनीति दो तरह की हो सकती है, पहली असली राजनीति, असली राजनीति का मतलब है जनता की समस्याओं को दूर करने वाली राजनीति, जैसे रोज़गार, शिक्षा, मजदूरों को शोषण से मुक्ति, किसान की बेहतरी, महिलाओं की समानता, जाति, सम्प्रदायवाद से समाज को मुक्त करने की राजनीति वगैरह, एक दूसरी राजनीति होती है मूर्ख बनाने वाली राजनीति, उस राजनीति में किसी एक धर्म की इज्ज़त के नाम की राजनीति होती है, कुछ जातियों की श्रेष्ठता को आधार बना लिया जाता है, फर्जी राष्ट्रवाद के नारे लगाए जाते हैं, काल्पनिक दुश्मन खोजे जाते हैं, फालतू में नफरत फैलाई जाती है, सेना के नाम पर उत्तेजना का निर्माण किया जाता है, कुछ सम्प्रदायों को दुश्मन घोषित किया जाता है, पहली वाली राजनीति से समाज की प्रगति होती है, जीवन सुखमय होता जाता है, लेकिन दूसरी वाली राजनीति से समाज में भय, नफरत और हिंसा बढ़ती ही जाती है, दूसरी वाली राजनीति में लोगों के जीवन से जुड़े मुद्दे पर काम नहीं होता सिर्फ जुमले छोड़े जाते हैं, दूसरी वाली राजनीति का एक लक्षण यह है कि इसमें धीरे धीरे कट्टरपन बढ़ता जाता है, नए गुंडे पुराने गुंडों को उदारवादी बता कर सत्ता अपने हाथ में लेते जाते हैं, और धीरे धीरे पूरी तरह मूर्ख और क्रूर नेता सबसे बड़ा बन जाता है, इसके बाद इस राजनीति का निश्चित अंत होता है, क्योंकि हिंसा तो नाशकारी है ही, यह आग तो सभी को जलाती है, मान लीजिये भारत में संघ की मनमानी चलने दी जाय तो ये ज्यादा से ज्यादा क्या कर लेंगे ? ये मुसलमानों ईसाईयों, कम्युनिस्टों, सेक्युलर बुद्धिजीवियों, को मिलाकर मार ही तो डालेंगे ? बुरे से बुरे हाल में ये भारत में आठ दस करोड़ लोगों को मार डालेंगे, लेकिन उससे ना तो दुनिया से मुसलमान समाप्त होंगे ना इसाई, ना कम्युनिस्ट विचारधारा समाप्त होगी ना ही नए बुद्धीजीवी पैदा होने बंद हो जायेंगे, लेकिन उसके बाद हिंदुत्व की राजनीति ज़रूर हमेशा के लिए समाप्त हो जायेगी, उसके बाद भारत ज़रूर दुनिया के अन्य सभी देशों की तरह ठीक से अपना काम काज करता रहेगा, हिटलर ने यही तो किया था, उसने खुद को आर्य कहा और अपनी नस्ल को दुनिया की सबसे श्रेष्ठ नस्ल घोषित किया, इसके बाद हिटलर ने यहूदियों को अपने देश के लिए समस्या घोषित किया, हिटलर ने एक करोड़ बीस लाख औरतों बच्चों जवानों बूढों को घरों से निकाल निकाल कर बड़े बड़े घरों में बंद कर के ज़हरीली गैस छोड़ दी, उसने भी सिर्फ यहूदियों को नहीं मारा, बल्कि कम्युनिस्टों, बुद्धिजीवियों, उदारवादियों, विरोधियों, समलैंगिकों सबको मारा, अंत में हिटलर ने खुद को गोली मार ली, हिटलर के देश जर्मनी के दो टुकड़े हो गए थे, आज भी हिटलर के देश के लोग हिटलर का नाम लेने में हिचकिचाते हैं, और अगर नाम लेते हैं तो शर्म और नफरत के साथ लेते हैं, अगर भारत में भी साम्प्रदायिकता और राष्ट्रवाद की नकली राजनीति इसी तरह बढ़ेगी, तो यह अपने अंत की और ही जा रही है यह निश्चित है, भाजपा राजनीति के जिस रास्ते पर बढ़ रही है वह ज्यादा दूर तक नहीं ले जाता, थोड़े ही दिन में इस तरह की राजनीति का खुद ही अंत हो जाता है, अपनी चिता में जलकर एक नया भारत निकलेगा ये ज़रूर है कि वह राजनैतिक तौर पर एक राष्ट्र बचेगा या टुकड़ों में बंट जायेगा यह नहीं कहा जा सकता।
   
   बाबुल इनायत
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सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

भाजपा का आम चुनाव को प्रभावित करनेकी कोशिश फेसबुक के जरिए। बाबुल इनायत


आम चुनाव को प्रभावित करने की  कोशिश फेसबुक के जरिए कितनी हो सकती है,कितनी नहीं, यह अलग विषय है मगर प्रधानमंत्री,प्रधानमंत्री होने की ताकत के बूते स्वयं किस तरह चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं,यह आज सामने आया है। इस समय एनसीसी के कैडेटों की संख्या लगभग तेरह लाख है।प्रधानमंत्री ने इन सबका नाम, ईमेल एड्रेस, मोबाइल नंबर और उनके बारे में संबद्ध अधिकारी की टिप्पणी मंगवाई है। अगर छात्र -छात्रा का अपना मोबाइल नंबर न हो तो उनके माँ या पिता का मोबाइल नंबर दिया जाए,जिसकी ईमेल आई डी न हो, उसकी बनवाई जाए,यह आदेश भी है। कहते हैं कि प्रधानमंत्री इनसे व्यक्तिगत संपर्क रखना चाहते हैं। चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं तो उन्हें युवाओं की याद आ रही है।उनसे व्यक्तिगत संपर्क की उनकी इच्छा बढ़ रही है।जाहिर है ज्यादातर के पास उनका रिकार्डेड संदेश जाएगा और किसी -किसी को वह फोन भी कर लेंगे,जिसकी बड़ी सी खबर बनेगी। ये सारे आंकड़े प्रधानमंत्री कार्यालय तक ही सीमित रहेंगे, इनका उपयोग भाजपा और संघ नहीं करेगा, इसकी क्या गारंटी है? ये जानकारियां नरेंद्र मोदी एप्प पर इकट्ठा की जाएंगी तो क्या गारंटी है कि मोदीजी के प्रधानमंत्री न रहने पर भी इनका दुरूपयोग नहीं किया जाएगा? इनमें से कई 2019 में मतदाता बनेंगे, कुछ शायद बाद में।एक तरफ सरकार फेसबुक के डाटा लीक से तथाकथित रूप से चिंतित है,दूसरी तरफ यह हो रहा है।हिंदुस्तान के हर नागरिक पर न जाने कितनी -कितनी तरह नजर रखी जाएगी! खतरनाक यह Lहै कि तेरह में से नौ लाख का आंकड़ा इकट्ठा भी किया जा चुका है,बाकी चार लाख का दो हफ्ते में हो जाएगा! कोई फायदा है ऐसी हालत में चुनाव आयोग या सुप्रीम कोर्ट जाने का?
बाबुल इनायत

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डॉक्टर राम मनोहर लोहिया की जयंती


जबतक हिंदुओं के दिमाग़ में वर्णभेद और ऊँच-नीच का भेद ख़त्म नहीं होगा तबतक कट्टरता भारतीय इतिहास में अपना विनाशकारी काम करती रहेगी। - डॉ राम मनोहर लोहिया

ब्राह्मण-बनिया मिलकर सदियों से देश पर अच्छा या बुरा शासन करते आए है जिसमें कभी उदारवादी ऊपर रहते है कभी कट्टरपंथी।

आज समाजवादी राजनीति के पुरोधा और प्रणेता डॉक्टर राम मनोहर लोहिया जी की जयंती पर सादर नमन और प्रणाम।
                               बाबुल इनायत
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          सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

Thursday, March 22, 2018

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राष्ट्रीय जनता दल अररिया बिहार बाबुल इनायत

 भाजपा का मिशन 2019 अररिया में वायरल विडियो को सोशल मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जोर शोर से प्रचारित करना हो, भागलपुर की घटना हो या फिर दरभांगा के जमीन विवाद में हुए हत्या को साम्प्रदायिक रुप देना हो। यह सब सिर्फ और सिर्फ भारतीय जनता पार्टी का मिशन 2019 का अंग है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय जी, दो दो केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जी एवं अश्वनी चौबे जी ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया है। इनका मकसद है "एक तीर से दो शिकार"। ये सभी भाजपा के सुशील मोदी विरोधी गुट का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनका राजद के आन्तरिक राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है। इनका मात्र मकसद है, एनडीए से जदयू की विदाई। इससे ये भविष्य में दो लाभ को देख रहे हैं... पहला..... इन तरह की प्रतिक्रियाओं से ये सीधा नीतिश कुमार के अहम पर चोट कर रहे हैं ताकि नीतीश जी की भावना आहत हो और वे भाजपा के विरुद्ध कदम उठाने को मजबूर हों। अल्पसंख्यकों में नीतीश के प्रति पुनः प्रेम जागृत हों, नीतीश आन में आकर सत्ता की परवाह किए बगैर स्वतंत्र रुप से चुनावी मैदान में आएं और अल्पसंख्यक मतों का विभाजन हो। बिहार में त्रिकोणीय संघर्ष की गाथा लिखी जाय। यानी की 2014 की पुनरावृत्ति। अभी सुशील मोदी विरोधी गुट द्वारा इस प्रकार के कई भावनात्मक मुद्दे उकेरे जाएंगे ताकि किसी प्रकार से नीतीश कुमार का अल्पसंख्यक प्रेम जागृत हो। यह सब एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। इसी क्रम में सुशील मोदी विरोधी गुट का एक और मोहरा भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष नितिन नवीन का जदयू पर मानसिक वार भी है। यह क्रम लागातार चलता रहेगा यानी की मिशन 2019, मत विभाजन, हिन्दुत्व की भावना और फतह। दूसरा पहलू...... सुशील मोदी के नीतीश प्रेम को केन्द्रीय नेतृत्व के समक्ष नकारात्मक रुप से प्रस्तुत कर उनके कद को छोटा करना। ताकि बिहार के सत्ता से सुशील मोदी को हासिए पर भेज, अपने गुट का वर्चस्व कायम करना। इसे भाजपा का आन्तरिक राजनीति के साथ साथ तेजस्वी यादव के बढ़ते प्रभाव को पीछे के रास्ते से कम करने के साथ साथ नीतीश कुमार की राजनीतिक हत्या के रुप में देखा जा सकता है। अब मैं राष्ट्रीय जनता दल के सभी नीति निर्धारण कर्ताओं से एक अपील करना चाहूंगा कि आप लोगों को भाजपा के इस गुढ़ राजनीति को समझ कर अगला नीति तय करना होगा ताकि उनके मंशा पर पानी फेरा जा सके। क्योंकि उन्होंने देख लिया है कि अन्य किसी मुद्दे पर बिहार में राष्ट्रीय जनता दल से पार पाना उनके बस की बात नहीं है। एक आकलन बाबुल इनायत के ह्रदय से........

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विश्व जल दिवस


बाबुल इनायत 
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विश्व जल दिवस २२ मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी विकसित देशों[1] में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही यह जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करता है।ब्राजील में रियो डी जेनेरियो में वर्ष 1992 में आयोजित[2] पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई तथा वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपने सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच में जल संरक्षण का महत्व साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि बताना था।

विश्व जल दिवस पोस्टर
जानकारी के लिए आपको बता दूं कि 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया था और संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 में अपने 'एजेंडा 21'में रियो डी जेनेरियो में इसका प्रस्ताव दिया था!
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नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाए एवं बधाई। बाबुल इनायत

अररिया जिला सहित प्रदेश एवं देशवासियों को नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं। आइये, नववर्ष में संकल्पित होकर निश्चय करें कि गरीबी...