Tuesday, October 16, 2018

थ्योरी ऑफ़ कॉमन एनिमी:


थ्योरी ऑफ़ कॉमन एनिमी:
हिटलर की जवानी के समय, जर्मनी में यहूदी कम थे और नाज़ी लोगों की जनसँख्या अधिक थी। उसने यहूदियों को देश का दुश्मन बता दिया और देश की बड़ी जनसख्या (नाजियों) को एक कॉमन एनिमी दे दिया। यहूदियों की खिलाफत के सहारे उसने पूरे जर्मनी के नाजियों को एकजुट कर लिया जो शायद किसी भी विकास, रोजगार, अविष्कार के मुद्दे पर कभी एकजुट नहीं होते।
इस एकजुट जर्मनी को हिटलर ने अपने हिसाब से ऑस्ट्रिया, फ़्रांस से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध तक में झोंक दिया। अब यहूदियों का मुद्दा बहुत पीछे छूट चुका था और नाजियों के पास हिटलर का समर्थन करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था। एक धर्म के खिलाफ एकजुट हुए लोग अब दूसरे देशों से लड़ रहे थे। यदि हिटलर अपनी मंशा पहले बता देता तो शायद जर्मनी का कोई नागरिक उसका साथ नहीं देता।
देश के दो धर्मों में से कम आबादी वाले धर्म को देश के लिए खतरा बना दीजिये। अधिक आबादी वाले धर्म के लोग आप को देश का महानायक बना देंगे। महानायक बन कर विरोधियों को ख़त्म कीजिये, सारे तंत्र पर नियंत्रण स्थापित कीजिये और फिर सत्ता हाथ आने के बाद आप अपने किसी भी निजी निर्णय को देश पर थोप दीजिये। देश के लोग आप का विरोध नहीं कर पाएंगे।
मोदी जी ने मुसलमानों को कॉमन एनिमी बनाया, हिन्दुओं ने सारे मुद्दे परे रख कर वोट दिया, 2014 का चुनाव जीतकर न्यायपालिका से लेकर पत्रकारिता तक पर कब्ज़ा किया और उसके बाद शुरू हुआ अम्बानी अडानी को फायदा पहुँचाने का असली खेल। अब देश के पास 5 साल तक कोई विकल्प नहीं था इन्हें झेलने के सिवा।
यहूदियों को मार कर नाजियों का कोई भला हुआ क्या ? हिटलर की मौत के तुरंत बाद जर्मनी की जनता (नाजियों) ने जर्मनी को (बीच से जर्मन वाल बनाकर) लिबरल और ऑर्थोडॉक्स 2 भागों में बाँट लिया। ये आधे लिबरल लोग भी यदि यहूदियों की सामूहिक हत्या का विरोध करते तो जर्मनी का इतिहास कुछ अलग होता।
योगी-मोदी जी मुस्लिमों के साथ जो कर रहे हैं उस से विश्व भर में "सर्व धर्म समभाव" की विचारधारा से प्रसिद्द हिन्दू धर्म का भी नुक्सान ही हो रहा है। शहरों, जगहों, स्टेशनों के मुस्लिम नाम बदल कर हम जो कर रहे हैं वो भी कल हमारे इतिहास में लिखा जायेगा। इतिहास हमें भी मौन रहने का दोषी ठहराएगा।
2019 में गलती सुधरने का मौका मिलेगा। बाकि #कालचक्र तो हर गलती सुधार ही देता है।
#babulinayat

Sunday, October 14, 2018

RJD की किताब ‘एनडीए की रासलीला जल्द आप के बीच : बाबुल इनायत

RJD की किताब ‘एनडीए की रासलीला जल्द आप के बीच : बाबुल इनायत

बाबुल इनायत
 प्रदेश में सुशील और नीतीश की पोल खोलने के लिए एक नई किताब लिखा जाएगा जिसका नाम ‘एनडीए की रासलीला’ होगी।

 लालू यादव अपनेआप में एक विचार हैं, वे समाजिक न्याय के नेता हैं और उन्होने जो क्रांति लाई है देश और दुनिया में कोर्इ् भी नेता ऐसा काम नहीं कर सका है। लालू यादव को झूठे केस मे फंसाया गया है।

 ये लोग सोच रहे हैं कि लालू के नही रहने पर इस साल इनकी सरकार बच जाएगी। लेकिन लालू यादव एक विचार है, ओर आज हर युवा अपनेआप को लालू यादव समझ रहा है जो इन्हे आनेवाले चुनाव में पटक के बधिया कर देगा।

 सुशील मोदी को किताब लिखने से पहले उन्हे खुद के अंदर झांकना चाहिए। वे बतायें कि ये सृजन घोटाला किसने किया।सुशील मोदी ने किया, नीतीश कुमार ने कियाए सुशील मोदी की बहन रेखा मोदी ने किया या सुशील मोदी के बेटे या भाई ने किया।

 इस बात को जनता के सामने बताये कि जब उनके पूर्वज केवल एक कंबल के साथ बिहार आए थे तो उनके पास इतनी संपत्ति कहां से आई। इन्हे अपने भाई, इनकी बहन, इनके बेटे और सुशील मोदी खुद, ये अपने बारे में पब्लिक डोमेंन में बताएं।

सोते, उठते—बैठते सता रहा है लालू यादव का भय

लालू यादव के पास आज भी उनका पूराना जनाधार है। जिसके कारण उनके विरोधी खौफ खाए हुए है। जब कोई पत्रकार इनके नेताओं से इंटरव्यू में जब पूछता है कि पिता का क्या नाम है तब भी इन्हे लालू यादव हीं याद आते हैं। एनडीए के लोगों को सोते, उठते एवं जागते और बाथरूम में भी लालू यादव याद आते हैं।

बिहार के इन लोगों ने जो मेनफेस्ट्रो चुनाव के वक्त दिखाया था उसे पूरा नहीं किया है। जनता इन सब बातों को जान चुकी है और चुनाव में इन्हे सबक सिखाएगी। ये प​ब्लिक है सब जानती है।
 इस किताब में इन लोगो ने जो 15 सालो में रास लीला किया है, जनता को ठगने का काम किया है और कहां—कहां रासलीला किया है ये सब बाते लिखा जाएगा और जनता के सामने लाने का काम किया जाएगा।
 इस किताब को कौन लिखेगा ये समय आने पर पता चल जाएगा।
जय राजद जय बिहार, अबकी बार राजद सरकार
 बाबुल इनायत






RJD की किताब ‘एनडीए की रासलीला’ जल्द आप सभी के बीच : बाबुल इनायत

सुशील मोदी की ‘लालू लीला’ को टक्कर देगी RJD की किताब ‘एनडीए की रासलीला’

बिहार के डीप्टी सीएम सुशील मोदी द्वारा लिखी किताब ‘लालू लीला’ के मार्केट में लेकर आने के बाद से ही बिहार की सियासत गरमा गई है। इस किताब को लेकर बिहार में पक्ष और विपक्ष दोनों की ओर से एक दूसरे पर वाक् युद्ध शुरू हो चुका है। वहीं इसी बीच आरजेडी के़े नेता बाबुल इनायत ने कहा है कि वे प्रदेश में सुशील और नीतीश की पोल खेलने के लिए एक नई किताब लिखेंगे जिसका नाम ‘एनडीए की रासलीला’ होगी।

पत्रकार को फोन दिए अपने  साक्षात्कार में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की ताजा किताब ‘लालू लीला’ पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बाबुल इनायत ने कहा कि लालू यादव अपनेआप में एक विचार हैं, वे समाजिक न्याय के नेता हैं और उन्होने जो क्रांति लाई है देश और दुनिया में कोर्इ् भी नेता ऐसा काम नहीं कर सका है। उन्होने कहा कि लालू यादव को झूठे केस मे फंसाया गया है।

बिहार एनडीए पर हमला बोलते हुए बाबुल इनायत ने कहा कि ये लोग सोच रहे हैं कि लालू के नही रहने पर इस साल इनकी सरकार बच जाएगी। लेकिन लालू यादव एक विचार है, ओर आज हर युवा अपनेआप को लालू यादव समझ रहा है जो इन्हे आनेवाले चुनाव में पटक के बधिया कर देगा।

पहले खुद के भीतर झांके सुशील मोदी
बाबुल इनायत ने सुशील मोदी की किताब को लेकर कहा कि किताब लिखने से पहले उन्हे खुद के अंदर झांकना चाहिए। उन्होने सृजन घोटाले को लेकर कहा कि वे बतायें कि ये सृजन घोटाला किसने किया।सुशील मोदी ने किया, नीतीश कुमार ने कियाए सुशील मोदी की बहन रेखा मोदी ने किया या सुशील मोदी के बेटे या भाई ने किया।

बाबुल इनायत  ने सुशील मोदी से सवाल किया की वे इस बात को जनता के सामने बताये कि जब उनके पूर्वज केवल एक कंबल के साथ बिहार आए थे तो उनके पास इतनी संपत्ति कहां से आई। इन्हे अपने भाई, इनकी बहन, इनके बेटे और सुशील मोदी खुद, ये अपने बारे में पब्लिक डोमेंन में बताएं।

सोते, उठते—बैठते सता रहा है लालू यादव का भय
इनायत ने कहा कि लालू यादव के पास आज भी उनका पूराना जनाधार है। जिसके कारण उनके विरोधी खौफ खाए हुए है। उन्होंने कहा कि जब कोई पत्रकार इनके नेताओं से इंटरव्यू में जब पूछता है कि पिता का क्या नाम है तब भी इन्हे लालू यादव हीं याद आते हैं। उन्होने कहा कि एनडीए के लोगों को सोत, उठते ए जागते और बाथरूम में भी लालू यादव याद आते हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार के इन लोगों ने जो मेनफेस्ट्रो चुनाव के वक्त दिखाया था उसे पूरा नहीं किया है। जनता इन सब बातों को जान चुकी है और चुनाव में इन्हे सबक सिखाएगी। उन्होने कहा कि ये प​ब्लिक है सब जानती है।

हम लिखूंगा ‘एनडीए की रासलीला’
जब हमने उनसे पूछा की सुशील मोदी की किताब के जवाब में आप क्या करेंगे? तो उन्होने कहा कि हम एनडीए की रासलीला पर किताब लिखेंगे। उन्होंने कहा की मै पार्टी की ओर से नहीं बल्कि व्यक्तिगत तौर पर ये करूंगा। जब उनसे पूछा गया की इस किताब में आप क्या लिखेंगे तो उन्होने कहा कि इस किताब में इन लोगो ने जो 15 सालो में रास लीला किया है, जनता को ठगने का काम किया है और कहां—कहां रासलीला किया है ये सब बाते हम लिखने का और जनता के सामने लाने का काम करेंगे।
किताब के लेखक और इसके मार्केट में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में तय नहीं हुआ है। उन्होने कहा कि इस किताब को कौन लिखेगा ये समय आने पर पता चल जाएगा।

आज युवा राजद के आहां पर केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन हुआ :बाबुल इनायत


आज युवा राजद के आहां पर केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन हुआ।

सूबे में बढ़ते अपराध एवं गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हो रहे अत्याचार ने सरकार आग में घी देने का काम किया है।






 
इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल ने केंद्र की मोदी सरकर और राज्य की नीतीश सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन किया गया।
राज्य में बढ़ते हुए अपराध, बलात्कार, बेरोजगारी, शैक्षणिक अराजकता, भ्रष्टाचार, सुपौल में कस्तूरबा बालिका विद्यालय में छात्राओं के साथ मारपीट व अमानवीय व्यवहार को लेकर राजद केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार के खिलाफ युवा राजद पूर्णिया के द्वारा पुतला दहन किया गया।
जिसमें मैं भी सम्मलित हुआ।





#babulinayat

Saturday, October 13, 2018

केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करेगी राजद।


केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करेगी राजद।
सूबे में बढ़ते अपराध एवं गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हो रहे अत्याचार ने सरकार आग में घी देने का काम किया है।
इसी क्रम में राष्ट्रीय जनता दल ने केंद्र की मोदी सरकर और राज्य की नीतीश सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन करने का फैसला किया है।
राज्य में बढ़ते हुए अपराध, बलात्कार, बेरोजगारी, शैक्षणिक अराजकता, भ्रष्टाचार, सुपौल में कस्तूरबा बालिका विद्यालय में छात्राओं के साथ मारपीट व अमानवीय व्यवहार को लेकर राजद केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की नीतीश सरकार के खिलाफ चरणबद्ध आन्दोलन करेगा।
प्रथम चरण में प्रदेश के सभी जिला में 14 अक्टूबर को आक्रोश मार्च और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पुतला दहन,25 अक्टूबर को जिला मुख्यालय में महाधरना, 04 नवम्बर को राजभवन मार्च आयोजित किया जाएगा।
आप सभी राजद कार्यकर्ताओं से अपील की है कि कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जुट जायें।
इसी कर्म में राजद पूर्णिया के द्वारा प्रथम चरण के तहत पुतला दहन होना है आज दिन के 01 बजे जिसमे मैं सम्मलित रहूंगा धन्यवाद।
#babulinayat

Friday, October 12, 2018

राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर विन्रम श्रधांजलि।

प्रखर चिंतक सामजावदी डॉ राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर विन्रम श्रधांजलि।




Thursday, October 11, 2018

आज शुबह अखबार देख रहा था मुख्य पृष्ठ से पहले के 4 पन्ने AMEZON,Filipcart और snapdeal के विज्ञापन से भरे हुए हैं।


आज शुबह अखबार देख रहा था मुख्य पृष्ठ से पहले के 4 पन्ने AMEZON,Filipcart और snapdeal के विज्ञापन से भरे हुए हैं। मतलब एक पेज के लिए कम से कम एक लाख का भुगतान किया गया होगा। पिछला पेज canon कैमरे का एड छापा है। मने डेढ़ लाख पक्के। कुल मिलाकर आज की तारीख में हर अखबार ने साढ़े पाँच लाख कमा लिए। सरकार का अपरोक्ष रोल है। अपनी कृपापात्र कम्पनियों से रिश्वत लेने का ये पुराना तरीका है। जहाँ कैश नही चलता ,वहाँ इस तरह काइंड से काम चला लिया जाता है। गुजरात आदेश दे कि फलाने अखबार,चैनल को विज्ञापन दो , कौन मना कर पायेगा ? कम पैसों में मोबाइल,
कपड़े ,साड़ी ,जींस के आगे किसको पड़ी है ,जो वो रॉफेल घोटाले की खबर ढूंढ कर पढ़े। अखबारों की सम्पदकोय पढ़िए। आपको संपादक की जगह एक रेंगने वाला कीड़ा दिखेगा, जो दया का पात्र है। आप जो पढ़ना चाहते हैं उसे अखबार छापते ही नही हैं। आप जो देखना चाहते हैं उसे टीवी न्यूज चैनल दिखाते ही नहीं। आप जिन मुद्दों पर टीवी चैनलों की बहस देखते हैं उनमें विपक्ष के कमजोर प्रवक्ताओं को बुलाया जाता है,जो भाजपाई प्रवक्ताओं की तरह नंगई नही कर पाते,जो सरकारी पिट्ठू डिबेट एंकर की तरह लाउडस्पीकर बन कर चिल्ला चिल्ली नही कर पाते। इसका उपाय क्या है ? उपाय है न, सोशल मीडिया को पकड़ कर रखिये। एक दूसरे की पोस्ट को लाइक कमेंट कर फैलाइये। टैग,कॉपी वालों को थैंक्यू बोलिये। इसके अलावा मेरे पास फिलहाल कोई दूसरा प्लान नही है।
                             #babulinayat
                                  बाबुल इनायत
                                 9507860937
             सोशल मीडिया प्रभारी राजद अररिया बिहार

लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को उनके जयंती पर शत् शत् नमन।

लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को उनके जयंती पर शत् शत् नमन।


Wednesday, October 10, 2018

यूपी में एक साल में अनेकों "फर्जी" एनकाउंटर हुए जिसमें अधिकांश दलित-पिछड़ें और अल्पसंख्यक वर्गों के लोग सरकारी गोलियों से मारे गये ।

यूपी में एक साल में अनेकों "फर्जी" एनकाउंटर हुए जिसमें अधिकांश दलित-पिछड़ें और अल्पसंख्यक वर्गों के लोग सरकारी गोलियों से मारे गये ।

इन सभी मृतकों के परिजनों को भी लखनऊ में हाल ही में मारे गए विवेक तिवारी के परिवार की तरह 40 लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।

जितनी जल्दी विवेक तिवारी की पत्नी को मुआवज़ा और नौकरी मिली इतना मुआवज़ा और इतनी जल्दी ही नौकरी सेना और अर्ध-सैनिक बलों के शहीद जवानों और फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को भी मिलनी चाहिए।

विवेक तिवारी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता था उसे तो उसकी कंपनी से भी मुआवज़ा मिलेगा लेकिन बाक़ी सब तो ग़रीब घरानों के अपने परिवार के एकलौते कमाऊ पुत थे। उन सभी के भी छोटे-छोटे बच्चे है। अब मीडिया उन्हें नहीं दिखाएगा तो क्या उन्हें मुआवज़ा और सहानुभूति नहीं मिलेगी?

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पीड़ितों को यथाशीघ्र न्याय और मुआवज़ा मिले।
#babulinayat

विभाजनकारी संघी पाठशाला के संकीर्ण विचार के छात्र नरेंद्र मोदी ने कल हरियाणा में दीनबंधु सर छोटूराम को नीचा दिखाया।

विभाजनकारी संघी पाठशाला के संकीर्ण विचार के छात्र नरेंद्र मोदी ने कल हरियाणा में दीनबंधु सर छोटूराम को नीचा दिखाया। प्रधानमंत्री की सोच पर तरस आता है। फेंकू और कृत्रिम स्वभाव के धनी मोदी जी ने हरियाणवी बोली में भाषण की शुरुआत करी। वैसे ये हर प्रदेश में जाकर वहाँ की भाषा में शुरुआती दो-तीन वाक्य बोलते है तो बड़े बनावटी लगते है।
ख़ैर, कल प्रधानमंत्री मोदी ने सर छोटूराम के संपूर्ण व्यक्तित्व को उन्हें “जाटों का मसीहा” बताकर समेट दिया। मुझे इस बात पर सख़्त आपत्ति है। ये विषैले संघी लोग कमेरे और श्रमशील वर्गों के महापुरुषों को अब उनकी जाति तक ही सीमित करने की साज़िश रचने लग गए है। महापुरुष किसी जाति विशेष के नहीं होते। अगर मोदी जी सर छोटूराम को केवल जाटों का मसीहा समझते हैं तो वो देश के करोड़ों ग़रीब किसान मजदूरों के नेता का कद छोटा कर रहे हैं। अरे मोदी जी, आपके शरणार्थी संघी गुरु उनके पैरों की धूल भी नहीं है।
दीनबंधु चौधरी छोटूराम सिर्फ़ जाटों के मसीहा नहीं थे, बल्कि वे समस्त किसान क़ौम, कमेरे और कामगारों के मसीहा थे। ऐसी शख़्सियत को सिर्फ़ जाटों का मसीहा कहना, उनकी तौहीन करने वाली बात है।
मोदी जी, दलित और पिछड़े लोगों ने उन्हें 'दीन बंधु' माना जबकि अंग्रेज़ों ने उन्हें 'सर' की उपाधि दी थी। वो उनके काम की वजह से था, ना कि जाति की वजह से। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि उनकी वजह से अविभाजित पंजाब प्रांत में न तो मोहम्मद अली जिन्ना की चल पायी और ना ही हिंदू महासभा की। वो उस पंजाब प्रान्त की सरकार के मंत्री थे जिसका आज दो तिहाई हिस्सा पकिस्तान में है। उन्हें सरकार का मुखिया बनने का अवसर मिला तो उन्होंने कहा कि तत्कालीन पंजाब प्रांत में मुसलमानों की आबादी 52 प्रतिशत थी। इसलिए उन्होंने किसी मुसलमान को ही मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की और खुद मंत्री बने रहे. इसलिए ही उन्हें 'रहबर-ए-हिन्द' की उपाधि दी गयी थी।
मोदी जी, ऐसी महान शख़्सियत को एक क्षेत्र और जाति के दायरों में ही सीमित करने की कोशिश मत किजीए।


पीएम मोदी की रैली में जबरदस्त हूटिंग। हजारों नौजवानों ने 'मोदी- गो बैक' के नारे लगा कर भाषण में डाला व्यवधान।


#पीएम मोदी की रैली में जबरदस्त हूटिंग
#हजारों नौजवानों ने 'मोदी- गो बैक' के नारे लगा कर भाषण में डाला व्यवधान
#इधर मोदी का भाषण चलता रहा , उधर पीछे पंडाल खाली हो गया
#पूरे प्रदेश से प्राइवेट स्कूलों की बसों में ढ़ो कर लाने के बाद भी भीड़ 25 हजार ही पहुंची
#हरियाणा के तीन सांसद- केंद्रीय मंत्री राव इंद्र जीत सिंह , अश्विनी चोपड़ा व राजकुमार सैनी रैली से रहे नदारद

सांपला (रोहतक) । रहबरे-आजम व किसानों के मसीहा चौधरी छोटूराम की जयंती के मौके पर सांपला में आयोजित रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुरी तरह हूटिंग हो गई । किसी प्रधानमंत्री की ऐसी हूटिंग पहले शायद ही कभी हुई हो । पिछले चार साल के शासनकाल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की सार्वजनिक रूप से ऐसी छिछालेदारी देश में शायद कहीं भी नहीं हुई । मोदी जी का पूरा भाषण ही हूटिंग की भेंट चढ़ गया ।

गौरतलब है कि मोदी जी का भाषण शुरू होने तक सब कुछ एकदम शांत था और भीड़ एकदम अनुशासनबद्ध तरीके से बैठी हुई थी । मोदी जी के भाषण के लिए खड़े होते ही लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट और 'मोदी-मोदी' के नारों से उनका स्वागत किया । लग रहा था कि अभी भी हरियाणा में मोदी जी का जादू बरकरार है । मोदी जी ने शुरूआत में 'सर छोटूराम , अमर रहें -अमर रहें' के नारे लगवाये , जिसका लोगों ने खूब गर्मजोशी से जवाब दिया । इसके बाद मोदी जी ने सर छोटूराम के गुणगान शुरू किये और किसानों की भलाई के लिए किए गये उनके कामों को गिनाने लगे । अचानक प्रेस गैलरी के पीछे से शोर शराबा सुनाई देने लगा । हजारों की तादाद में नौजवान दोनों हाथ हिला हिला कर कहने लगे , हमें नहीं सुनना आपका भाषण । बीजेपी नेता समझ नहीं पा रहे थे कि अचानक यह क्या झमेला शुरू हो गया ? इन नौजवानों के शोर के कारण किसी को मोदी जी का भाषण पल्ले नहीं पड़ रहा था । लेकिन मोदी जी ने भी हूटिंग से विचलित हुए बिना अपना भाषण जारी रखा । उन्होंने न तो कोई राजनीतिक बातें हीं की और न किसी की आलोचना करने का प्रयास ही किया । उनका पूरा भाषण सर छोटूराम , सरदार पटेल और किसानों की समस्याओं पर ही केंद्रित रहा ।
बीजेपी के कुछ नेताओं ने मोदी का विरोध कर रहे नौजवानों को शांत कराने का प्रयास किया , लेकिन ये नौजवान पूरे समय खड़े ही रहे और समझाने क् उन पर कोई असर नहीं हुआ । उन्होंने कुर्सियों पर बैठने का उपक्रम तक नहीं किया । प्रेस गेलरी के पीछे मौजूद पुलिस कर्मी मूक दर्शक बने रहे और उन्होंने विरोध करने वालों को खदेड़ने का कोई प्रयास नहीं किया। यदि नारेबाजी व हूटिंग करने वाले की तादाद कम होती तो पुलिस उन्हें दबोच भी लेती , लेकिन हजारों लोगों की भीड़ को खदेड़ने के उपक्रम में हालात खराब होने का अंदेशा था । पंडाल में भगदड़ मचने की अाशंका के चलते पुलिस शांत बनी रही। अगर भगदड़ मच जाती तो बहुत लोगों की जानें जा सकती थीं । स्टेज और हूटिंग करने वालों के बीच में सिर्फ वीआईपीज , सरकारी अधिकारियों व प्रैस संवाददाताओं की गैलरियां ही थीं । हूटिंग करने वालों के लगातार खड़े रहने और शोर मचाने के कारण पंडाल में पीछे बैठे लोगों को कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था । इस वजह से पीछे की कुर्सियों पर बैठे लोग उठ कर पंडाल से बाहर जाने लगे । नतीजा यह हुआ कि मोदी जी का भाषण खत्म होने से पहले ही आधा पंडाल खाली हो चुका था ।

मोदी जी के भाषण के खत्म हो जाने और उनके स्टेज से चले जाने के बाद भी कुछ देर तक ये हुड़दंगी नौजवान शोर मचाते रहे ।

वैसे भाषण देते समय मोदी के चेहरे के भाव लगातार रंग बदलते रहे। हुडदंगी नोजवानों की भीड़ के शोरशराबे व नारेबाजी के कारण वे बैचेन जरूर दिखे, लेकिन उन्होंने संयम बनाए रखा और हुडदंगियों को धमकाने या चेतावनी देने की कोई कोशिश नहीं की और अपना भाषण जारी रखा। लेकिन स्टेज पर बैठे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की हालत देखने लायक थी। वे बेबसी से हाथ मलते रहे और कुछ नहीं कर सके। बीजेपी के तमाम आला नेताओं के चेहरे आज के इस नजारे को देखकर उतरेहुए नजर आये परंतु कुछ ऐसे नेता भी थे, जिनके चेहरे खिले हुए दिखाई दिए।

सबसे बुरी हालत पुलिस व गुप्तचर एजेंसियोंके आला अधिकारियों की दिखाई दी, जिनकी जिम्मेदारी हुड़दंगियों पर निगाह रखने की थी। गुप्तचर एजेंसियों के जासूसों को भनक तक नहीं लगी और हजारों की तादाद में हुडदंगी स्टेज के इतने करीब तक पहुंच गये। अगले एकाध दिन मे रोहतक जिले के बड़े अधिकारियों तथा गुप्तचर एजेंसियों के अफसरों पर आज के घटनाक्रम को लेकर गाज गिरने की पूरी संभावना है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में इतनी बड़ी तादाद में हुडदंगियों का निर्विध्न पहुंचना सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ी चूक है।

लगता है कि राज्य सरकार को रैली में कम भीड़ आने की संभावना पहले से ही दिखाई दे गई थी। इसलिए रैली के लिए बहुत छोटा पंडाल लगाया गया था। पंडाल में बैठने के लिए सभी के हेतू कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी। कुर्सियों की संख्या और पंडाल के क्षेत्रफल के हिसाब से इस पंडाल में बीस हजार से ज्यादा भीड़ नहीं जुट सकती। परंतु पंडाल से बाहर भी तकरीबन पांचेक हजार लोग मौजूद थे। इस हिसाब से पच्चीस से तीस हजार की भीड़ रैली में आई थी जो कि मोदी जी के कद के हिसाब से बहुत कम है और भीड़ के हिसाब से रैली फ्लॉप कही ज् सकती है। ये भीड़ भी प्राइवेट स्कूलों की सैंकड़ों बसों को कब्जे में लेकर ढ़ोई गई थी। पूरे प्रदेश भर से लोगों को ढ़ो कर लाया गया था। खुद मोदी जी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि पंजाब, हरियाणा व राजस्थान से आये सभी लोगों का रैली में आने के लिए धन्यवाद। यानि मोदी जी भी मानते हैं कि ये भीड़ तीन राज्यों की थी। वैसे दिल्ली की बसें भी भीड़ लेकर रैली में आई हुईं दिखीं।

वैसे प्रधानमंत्री के साथ बैठने का मौका सिर्फ चंद लोगो को ही मिल पाया। केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्रसिंह व कृष्णपाल, मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, हरियाणा के कृषिमंत्री ओमप्रकाश, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेवनारायण आर्य, हिमाचल के राज्यपाल देवव्रत और जम्मू काश्मीर के राज्पाल सतपाल मलिक ही मंच पर विराजमान हो सके। हरियाणा सरकार के बाकी सभी मंत्रियों व विधायकों को एक अलग मंच पर बैठाया गया। हरियाणा के वित्त मंत्री अभिमन्यु ने भी पीएम के मंच पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन एसपीजी के कमांडोज ने उन्हें हाथ पकड़कर पीछे कर दिया और स्टेज पर न चढ़ने दिया। वैसे हरियाणा बीजेपी के तीन लोकसभा सदस्यों की आज की रैली में गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। ये हैं केंद्रीय मंत्री व गुरूग्राम के लोकसभा सदस्य इंद्रजीत सिंह, करनाल के सांसद और पंजाब केसरी संपादक अश्विनी चोपड़ा तथा कुरूक्षेत्र सांसद राजकुमार सैनी।
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Thursday, October 4, 2018

किसान सड़क पर क्यों ? थोड़ा लम्बा लेख है। फिर भी पढ़िए।

4 साल 4 महीने बीतने के बाद आखिर में सरकार ने किसानों को MSP का झुनझुना पकड़ा दिया है। जो यथार्थ के धरातल पर महज एक जुमला साबित हुआ है। अभी तक सिर्फ पूंजीपतियों के फायदे के लिए देश मे फसलों का पर्याप्त उत्पादन होने के बावजूद भी भारी-भरकम रकम खर्च करके विदेशो से खाद्य उत्पादों का आयात किया जा रहा था। आयात करने वाले बीजेपी को चंदा देने वाले मोटे सेठ लोग थे। मोदी जी अपने इन्ही वित्तपोषकों के चुनावी चंदे की क़िस्त चुकाने विदेश जाते हैं।

याद कीजिये मोज़ाम्बिक से दाल, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से गेहूं, आलू, ब्राज़ील से राॅ शुगर, मेक्सिको और अफ्रीका से सरसों, सोयाबीन और यहां तक कि पाकिस्तान से प्याज़ और शक्कर का आयात किया गया था।

इन्ही पूंजीपतियों के फायदे के लिए अनाजों,दालों पर इम्पोर्ट ड्यूटी हटाकर या कम कर आयात सस्ता किया गया। जबकि देश का किसान अपनी उपज घोषित सरकारी मूल्य से भी कम दामो में मंडी में बेचने को मजबूर किया गया। कोई आरटीआई एक्सपर्ट हो तो कृषि और वाणिज्य मंत्रालय से सूचना प्राप्त कर पुष्टि कर सकता है।

देश मे इस साल 4.5 मिलियन टन दाल का उत्पादन हुआ है,जबकि कुल घरेलू मांग 3.2 मिलियन टन है। इसके बावजूद भारत सरकार के केंद्रीय वाणिज्य एवम उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशक ने इसी 11 जून को आदेश पारित किया है कि 31 अगस्त तक म्यांमार एवम अफ्रीकी देशों से 199891 मीट्रिक टन अरहर दाल,149964 मीट्रिक टन मूंगदाल,149982 मीट्रिक टन उड़द दाल मंगा लिए जाए। यह आदेश मोदी जी के वर्ष 2016 के म्यांमार एवम अफ्रीकी देशों की यात्रा के दौरान किये गए समझौतों के अनुपालन में दिए गए थे।

पिछले साल बाजरे का समर्थन मूल्य 1405 रु घोषित किया था।1100- 1200 के बीच बिका।इस साल के लिए 1900 रु से ऊपर तय किया है तो मंडी में 1150 रु में बिक रहा है।

इस साल दाल का समर्थन मूल्य 5050 रु प्रति कुंतल था जबकि किसान खुले बाजार में 4000 रु प्रति कुंतल बेचने पर मजबूर हुआ है।

गेँहू का समर्थन मूल्य 1735 रु प्रति कुंतल था लेकिन किसान का गेँहू मंडी में 1450 - 1530 रु कुंतल में गया।

अभी तक देश के गन्ना किसानों का 22 हजार करोड़ रु भुगतान नही हुआ औऱ दूसरी तरफ पाकिस्तान से चीनी मंगा ली गयी।

लागत मूल्य में बाजीगरी कर अब न्यूनतम समर्थन मूल्य का डेढ़ गुना दाम देने की बात से किसानों को गुमराह किया गया। मंडी और व्यापारियों के चक्रव्यूह को भेदना इतना आसान होता तो किसान अपने फसली उत्पाद औऱ दूध सड़को पर न फेंक रहा होता। दूध के नाम पर याद आया ,तनिक सहकारी डेयरी में पशुपालकों द्वारा बेचे गए दूध के दाम तो चेक कीजिये। पिछले दो साल की तुलना में अब पौने रेट मिल रहे हैं,जबकि पशु आहार के दाम ड्योढ़े हो चुके हैं।

पूंजीवादियों की पोषक इस सरकार ने पहले खाद ,यूरिया की 50 किलो की बोरी का वजन 5 किलो घटा कर 45 किलो कर दिया फिर दाम बढ़ा दिए।

डीजल के बढ़े दामो का सीधा प्रभाव खेती की लागत पर पड़ता है। कीटनाशकों के दाम भी आसमान छू रहे हैं।

कभी शक्कर,चिप्स, कोल्डड्रिंक के दाम घटते सुने हैं ? नही न,इसी से सरकारी नीतियों में किसानों पर व्यापारियों की महत्ता का अंदाजा लगा लीजिये।

धन्नासेठ उद्योगपतियों को कर्जमाफी और अन्नदाता किसानों को गोली लाठी ? अब ये नही चलेगा। एक झूठे ने 2014 से पहले हर चुनावी रैली और पोस्टरों में झूठे वायदे कर जनता को ठग लिया था। अब नही ठग पायेगा। गाँव वाले बड़े परपंची होते हैं। टाइम भी खूब है। जबाब मिलेगा !
#babulinayat

नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाए एवं बधाई। बाबुल इनायत

अररिया जिला सहित प्रदेश एवं देशवासियों को नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं। आइये, नववर्ष में संकल्पित होकर निश्चय करें कि गरीबी...