Tuesday, October 16, 2018

थ्योरी ऑफ़ कॉमन एनिमी:


थ्योरी ऑफ़ कॉमन एनिमी:
हिटलर की जवानी के समय, जर्मनी में यहूदी कम थे और नाज़ी लोगों की जनसँख्या अधिक थी। उसने यहूदियों को देश का दुश्मन बता दिया और देश की बड़ी जनसख्या (नाजियों) को एक कॉमन एनिमी दे दिया। यहूदियों की खिलाफत के सहारे उसने पूरे जर्मनी के नाजियों को एकजुट कर लिया जो शायद किसी भी विकास, रोजगार, अविष्कार के मुद्दे पर कभी एकजुट नहीं होते।
इस एकजुट जर्मनी को हिटलर ने अपने हिसाब से ऑस्ट्रिया, फ़्रांस से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध तक में झोंक दिया। अब यहूदियों का मुद्दा बहुत पीछे छूट चुका था और नाजियों के पास हिटलर का समर्थन करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था। एक धर्म के खिलाफ एकजुट हुए लोग अब दूसरे देशों से लड़ रहे थे। यदि हिटलर अपनी मंशा पहले बता देता तो शायद जर्मनी का कोई नागरिक उसका साथ नहीं देता।
देश के दो धर्मों में से कम आबादी वाले धर्म को देश के लिए खतरा बना दीजिये। अधिक आबादी वाले धर्म के लोग आप को देश का महानायक बना देंगे। महानायक बन कर विरोधियों को ख़त्म कीजिये, सारे तंत्र पर नियंत्रण स्थापित कीजिये और फिर सत्ता हाथ आने के बाद आप अपने किसी भी निजी निर्णय को देश पर थोप दीजिये। देश के लोग आप का विरोध नहीं कर पाएंगे।
मोदी जी ने मुसलमानों को कॉमन एनिमी बनाया, हिन्दुओं ने सारे मुद्दे परे रख कर वोट दिया, 2014 का चुनाव जीतकर न्यायपालिका से लेकर पत्रकारिता तक पर कब्ज़ा किया और उसके बाद शुरू हुआ अम्बानी अडानी को फायदा पहुँचाने का असली खेल। अब देश के पास 5 साल तक कोई विकल्प नहीं था इन्हें झेलने के सिवा।
यहूदियों को मार कर नाजियों का कोई भला हुआ क्या ? हिटलर की मौत के तुरंत बाद जर्मनी की जनता (नाजियों) ने जर्मनी को (बीच से जर्मन वाल बनाकर) लिबरल और ऑर्थोडॉक्स 2 भागों में बाँट लिया। ये आधे लिबरल लोग भी यदि यहूदियों की सामूहिक हत्या का विरोध करते तो जर्मनी का इतिहास कुछ अलग होता।
योगी-मोदी जी मुस्लिमों के साथ जो कर रहे हैं उस से विश्व भर में "सर्व धर्म समभाव" की विचारधारा से प्रसिद्द हिन्दू धर्म का भी नुक्सान ही हो रहा है। शहरों, जगहों, स्टेशनों के मुस्लिम नाम बदल कर हम जो कर रहे हैं वो भी कल हमारे इतिहास में लिखा जायेगा। इतिहास हमें भी मौन रहने का दोषी ठहराएगा।
2019 में गलती सुधरने का मौका मिलेगा। बाकि #कालचक्र तो हर गलती सुधार ही देता है।
#babulinayat

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