Wednesday, June 14, 2023

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

अपने शानदार अभिनय से करोड़ो दिलों पर राज करने वाले बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।  

Monday, June 12, 2023

आधी रात में मां की नींद खुल गई थी और बेटे को बहू के कमरे की बजाय अपने बिस्तर पर बच्चों की तरह आड़ा-तिरछा लेटा हुआ पाकर आज फिर उसका दिल आशंकाओं से भर उठा था....

आधी रात में मां की नींद खुल गई थी और बेटे को बहू के कमरे की बजाय अपने बिस्तर पर बच्चों की तरह आड़ा-तिरछा लेटा हुआ पाकर आज फिर उसका दिल आशंकाओं से भर उठा था....
बेटे के सर के नीचे एक तकिया लगा उसके माथे को सहलाते हुए वह धीरे से बुदबुदाई -अब तू कुछ परेशान सा रहता है....

नहीं मां....शायद मां के स्पर्श से बेटे की कच्ची नींद भी खुल गई थी और वह करवट ले मां के करीब आ गया था...
पिछले महीने पति के गुजर जाने के बाद अब उसे भी गहरी नींद कहां आती थी..
रातें तो यूंही आंखें मूंद हल्की झपकियों में ही कट रही थी ऊपर से बेटे की यह बेचैनी...

आजकल जाने कब तू मेरे बिस्तर पर आकर सो जाता है। बहू से नाराज है क्या....

नहीं मां....  किसी अबोध की तरह मां से लिपटने की कोशिश करता इस सवाल को भी वह टाल गया...
मां ने वही बिस्तर से सटे मेज पर रखें तांबे के लोटे से एक घूंट पानी पीकर लोटा वापस मेज पर रख दिया था और बिस्तर पर लेटने की बजाय एक तकिए का सहारा ले दीवार से अपनी पीठ टिका बैठ गई थी...
"फिर क्या बात है बेटा...

कुछ भी नही मां... 
मां की गोद को छोटे बच्चों की तरह बाहों में भरने की कोशिश करता वह उसके हर सवाल को खारिज कर गया था...

बेटा ....बता ना... 
तेरी बेचैनी देख मेरा दिल घबराता है...
उसने बेटे का सर अपनी गोद में रख लिया था।
मां की घबराहट महसूस कर बेटे ने अब खुद सोने या मां के सो जाने का इंतजार करना छोड़ पीठ के बल लेट मां के दोनों हाथ अपने हाथों में ले अपने सीने पर रख लिया था...
"मां.... आपको याद है, जब मैं बड़ा हो रहा था। पापा ने मेरा कमरा अलग कर दिया था...

"अपने लिए अलग कमरे की जिद्द भी तो तूने ही की थी मां ने उसे याद दिलाया था...

"हां....लेकिन तब आप मेरे सो जाने के बाद उस कमरे में आकर मेरे माथे को सहलाती अक्सर मेरे बिस्तर पर ही सो जाया करती थी....

"और सुबह मुझे अपने बिस्तर पर पाकर तू अक्सर मुझसे एक सवाल पूछा करता था...
 याद है...
सोई गहरी रात में मां-बेटे भूली-बिसरी बातें याद कर रहे थे...

"हां.... याद है...

"अच्छा...तो  बता क्या पूछता था... सुबह की कहीं कितनी ही बातों को शाम तक भूल जाने वाले बेटे को बरसों पुरानी वह बात कहां याद होगी.. यह सोच मां मुस्कुराई थी...

"यही की.... क्या आप पापा से नाराज हो....

बेटे की अद्भुत यादाश्त क्षमता से रूबरू होती मां का निस्तेज होता चेहरा अचानक एक अद्भुत मुस्कान के साथ कमरे की मदीम रोशनी में भी जगमगा उठा...

हां ....पर बेटा....तुझे ऐसा क्यों लगता था....
आज वर्षो बाद शायद मां भी शिद्दत से बेटे के मन की उस बात को जान लेना चाहती थी जिसे जानने की फुर्सत उसे आज से पहले कभी नहीं मिली...

"क्योंकि मैं आपको हमेशा पापा के साथ देखना चाहता था....
पिता को याद करते हुए बेटे ने अपने सीने पर रखे मां के दोनों हाथों पर अपनी पकड़ मजबूत की थी....

"बेटा.... मैं भी तुम्हें हमेशा बहू के साथ देखना चाहती हूं...मां ने झुक कर बेटे का माथा चूमकर कहा...

"मां.... तब आप पापा को कमरे में अकेला छोड़ मेरे पास क्यों आ जाती थी....
बरसों बाद बेटा भी अपने मन की जिज्ञासा मां के सामने रख रहा था...

"बेटा...डर लगता था कि अकेले कमरे में कहीं तू डर ना जाए....

"मां.... अब जब पापा नहीं रहे, मुझे भी डर लगता है...

"क्यों बेटा..." मां अपने बेटे का "डर " जानने को अधीर हो उठी ....

"कहीं आप अपने अकेलेपन से डर ना जाओ...
इसलिए मैं...मै....
इसके आगे वह कुछ कह ही नहीं पाया, मां-बेटा एक दूजे से लिपट गए थे और सारे शब्द आंसुओं में बह गए थे....

Sunday, June 11, 2023

सामाजिक न्याय सद्भावना दिवस 11 जून न्याय के पुरोधा आदरणीय लालू प्रसाद यादव जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। :- बाबुल इनायत

आज कल कुछ नए नौजवान कहते है की लालू जी ने क्या किया ?
तो सुनो !! लालू जी ने बिहार को उबारा है, बिहार के दमित, शोषित लोगो को आवाज दिया है, उन्हें तन कर चलने का साहस दिया है। जिसके सामने आपके बाप दादाओ की औकाद खड़े होने की नही थी , आज उसके सामने आप नजर से नजर मिलाकर बोल रहे है ।
वो लालू प्रसाद यादव जी का देन है ।

वह समय याद करिए जब कर्पूरी ठाकुर जी जैसा गरीबो का मसीहा बिहार में मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में अपमानित हुए थे । पटना के चौराहों पर बिहार के मुख्यमंत्री श्री कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी मुख्यमंत्री की गाड़ी रोककर गालियां दी गयी थी और कर्पूरी जी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि गालियां देना इनका जन्मसिद्ध अधिकार है और हम लोग गालियां बर्दाश्त करने वाले लोग हैं।

एक वह समय था और एक वह समय आया जब लालू जी जैसा चमत्कारी नेतृत्व कर्पूरी जी के अरमानों को मूर्त रूप देना शुरू किये तो उन गालियां देने वालो की हलक सूख गई और कर्पूरी जी को गालियां देने वाले लालू जी के नेतृत्व में नारा लगाने लगे कि “कर्पूरी तेरे अरमानो को दिल्ली तक पँहुचाना है”....

लालू जी को  पिछड़े-वंचित समाज के लोग जो उन्हें उनके योगदान को जाने बगैर तथा अपने पुरखों की दुर्गति को याद किये बगैर जब दोषारोपित करते हैं तो बड़ी कोफ्त होती है कि ये नई पीढ़ी के बदमिजाज लोग जिन्हें लालू जी के कारण चौराहे पर दबंगो के सामने बोलने की आवाज मिली है वे उसे ही और उनके योगदान को ही भूल गए ?

याद करना होगा 1977 का वह दौर जब बिहार के सामंती प्रबृत्ति के लोग पिछड़े वर्ग के मुख्यमंत्री को उनके मुंह पर गालियां देने की हिम्मत रखते थे और 1989 में लालू जी के सामने जमीन पर बैठने में भी गर्व महसूस करने लगे और कर्पूरी ठाकुर जी की संतानों को गले लगाने लगे ।
इसलिए इन्हें कहते हैं:  #सामाजिक_न्याय_के_महानायक_लालू

गरीबों के मसीहा, सामाजिक न्याय के पुरोधा राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री लालू प्रसाद जी का अवतरण दिवस धूमधाम से मनाया गया।

गरीबों के मसीहा, सामाजिक न्याय के पुरोधा राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री लालू प्रसाद जी का अवतरण दिवस धूमधाम से मनाया गया। #सामाजिक_न्याय_के_महानायक_लालू

Saturday, June 10, 2023

लालू प्रसाद यादव जी को 76 वां जन्मदिन मुबारक।

लालू जी के सामाजिक न्याय को यदि समझना है तो उनके ए-टू-जेड की राजनीति को समझिए। बिहार के प्रत्येक जिलों के बड़े नेताओं की राजनैतिक यात्रा देखिए, उनकी यात्रा में लालू जी के योगदान को पढ़िए। 

जब आप नज़र दौड़ाएंगे तो वैशाली में रघुवंश बाबू, सीमांचल में तस्लीमुद्दीन, चम्पारण में सीताराम सिंह, बृज बिहारी प्रसाद और मोतिउर रहमान दिखेंगे। सीवान में शहाबुद्दीन, अवध बिहारी चौधरी। शिवहर में अनवारूल, मिथिला में फातमी और अब्दुल बारी सिद्दीकी दिखेंगे। 

पटना में रामकृपाल, मुजफ्फरपुर में रमई राम, समस्तीपुर में आलोक मेहता, आरा-बक्सर में कांति सिंह और जगदानंद सिंह का प्रभाव दिखेगा। आज बिहार भाजपा और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में गिने जाने वाले सम्राट चौधरी, संजय जायसवाल और अखिलेश सिंह ने भी राजनीति शुरु करते समय लालूजी की उंगली थामी थी। 

लालूजी समतामूलक समाज के हिमायती थे। उनके पहले कार्यकाल में 22 दलित विधायक जीते थे उनमें से 11 मंत्री  बनाए गए। 12 मुस्लिम विधायक जीते,8 को मंत्री बनाया गया। 18 जीते हुए कुशवाहा विधायकों में से 11 मंत्री बनें। 28 सवर्ण जीते, 18 मंत्री बने। 2 आदिवासी जीते दोनों को मंत्री बनाया। 63 पिछड़े विधायकों में से 31 को मंत्री बनाया। 

सामाजिक न्याय के महानायक का असली समाजवाद यही है। जन्मदिन मुबारक हो महबूब ❤️

आप सवाल पूछते है लालूवाद क्या है.? आज जवाब लीजिए।-आडवाणी की रथयात्रा रोक कर पूरे देश की साम्प्रदायिक ताकतों को चुनौती देना लालूवाद है।-मण्डल की लड़ाई के लिए बिहार जैसे पिछड़े राज्य में सामाजिक न्याय स्थापित करना लालूवाद है।-नालंदा का अतीत समेटकर गुज़ारा करने वाले राज्य में 6 विश्विद्यालय खोलना लालूवाद है।-कमेरा वर्ग को उनके ताकत का अहसास करवाने के लिए कुर्ते के ऊपर बनियान पहनकर जनसभा करना लालूवाद है।-कुम्हार वर्ग को सशक्त करने के लिए रेलवे में बिकने वाली चाय को मिट्टी की कुल्हड़ में अनिवार्य करना लालूवाद है।-एकलव्य का अँगूठा माँगने वाले देश में दलित-पिछड़े-आदिवासी समाज के बच्चों के लिए “पढ़ो या मरो” का नारा देकर चरवाहा विद्यालय खोलना लालूवाद है।-भारतीय वर्ण व्यवस्था में जातिगत अन्याय का प्रतिकार कर समतामूलक समाज की परिकल्पना लालूवाद है।-विदेशी बताकर विरोध झेलती इंदिरा गांधी की बहू के लिए चट्टान की भाँति अड़ जाना लालूवाद है।-सामन्तवाद के सीने पर लात रख के बिहार का मुस्तक़बिल संवार देना लालूवाद है।-वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल होते रहे बिहार के अल्पसंख्यक समाज को मुख्यधारा का हिस्सा बनाना ही लालूवाद है।-90 के दशक में बिहार के विश्विद्यालयों के लिए 156 करोड़ का बज़ट लालूवाद की गवाही देते हैं।-सिर पर मैला ढोने की अमानुषिक प्रथा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करवाना लालूवाद है।-महिलाओं के लिए माहवारी के दिनों में दो दिनों के अवकाश का प्रावधान करना लालूवाद है।- ताड़ी कर माँफ कर के ताड़ी बेचने वाले पासी समाज को सशक्त करना लालूवाद है। दरअसल, बिहार की जीवनधारा में समाजवादी विचारधारा रखने वाला हर व्यक्ति लालूवादी है। सामन्तवादी, सांप्रदायिक ताकतों से लोहा लेते हुए दलित-पिछड़े-आदिवासी समाज के हक के लिए लड़ने वाला प्रत्येक इंसान लालूवादी है। लालूजी के अलंबरदारों के लिए लालूवाद एक विचारधारा है। पूरे देश को सद्भावना दिवस की शुभकामनाएं।

आप सवाल पूछते है लालूवाद क्या है.? 
आज जवाब लीजिए।

-आडवाणी की रथयात्रा रोक कर पूरे देश की साम्प्रदायिक ताकतों को चुनौती देना लालूवाद है।

-मण्डल की लड़ाई के लिए बिहार जैसे पिछड़े राज्य में सामाजिक न्याय स्थापित करना लालूवाद है।

-नालंदा का अतीत समेटकर गुज़ारा करने वाले राज्य में 6 विश्विद्यालय खोलना लालूवाद है।

-कमेरा वर्ग को उनके ताकत का अहसास करवाने के लिए कुर्ते के ऊपर बनियान पहनकर जनसभा करना लालूवाद है।

-कुम्हार वर्ग को सशक्त करने के लिए रेलवे में बिकने वाली चाय को मिट्टी की कुल्हड़ में अनिवार्य करना लालूवाद है।

-एकलव्य का अँगूठा माँगने वाले देश में दलित-पिछड़े-आदिवासी समाज के बच्चों के लिए “पढ़ो या मरो” का नारा देकर चरवाहा विद्यालय खोलना लालूवाद है।

-भारतीय वर्ण व्यवस्था में जातिगत अन्याय का प्रतिकार कर समतामूलक समाज की परिकल्पना लालूवाद है।

-विदेशी बताकर विरोध झेलती इंदिरा गांधी की बहू के लिए चट्टान की भाँति अड़ जाना लालूवाद है।

-सामन्तवाद के सीने पर लात रख के बिहार का मुस्तक़बिल संवार देना लालूवाद है।

-वोटबैंक के रूप में इस्तेमाल होते रहे बिहार के अल्पसंख्यक समाज को मुख्यधारा का हिस्सा बनाना ही लालूवाद है।

-90 के दशक में बिहार के विश्विद्यालयों के लिए 156 करोड़ का बज़ट लालूवाद की गवाही देते हैं।

-सिर पर मैला ढोने की अमानुषिक प्रथा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करवाना लालूवाद है।

-महिलाओं के लिए माहवारी के दिनों में दो दिनों के अवकाश का प्रावधान करना लालूवाद है।

- ताड़ी कर माँफ कर के ताड़ी बेचने वाले पासी समाज को सशक्त करना लालूवाद है। 

दरअसल, बिहार की जीवनधारा में समाजवादी विचारधारा रखने वाला हर व्यक्ति लालूवादी है। सामन्तवादी, सांप्रदायिक ताकतों से लोहा लेते हुए दलित-पिछड़े-आदिवासी समाज के हक के लिए लड़ने वाला प्रत्येक इंसान लालूवादी है। लालूजी के अलंबरदारों के लिए लालूवाद एक विचारधारा है। पूरे देश को सद्भावना दिवस की शुभकामनाएं।

नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाए एवं बधाई। बाबुल इनायत

अररिया जिला सहित प्रदेश एवं देशवासियों को नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं। आइये, नववर्ष में संकल्पित होकर निश्चय करें कि गरीबी...