लालू जी के सामाजिक न्याय को यदि समझना है तो उनके ए-टू-जेड की राजनीति को समझिए। बिहार के प्रत्येक जिलों के बड़े नेताओं की राजनैतिक यात्रा देखिए, उनकी यात्रा में लालू जी के योगदान को पढ़िए।
जब आप नज़र दौड़ाएंगे तो वैशाली में रघुवंश बाबू, सीमांचल में तस्लीमुद्दीन, चम्पारण में सीताराम सिंह, बृज बिहारी प्रसाद और मोतिउर रहमान दिखेंगे। सीवान में शहाबुद्दीन, अवध बिहारी चौधरी। शिवहर में अनवारूल, मिथिला में फातमी और अब्दुल बारी सिद्दीकी दिखेंगे।
पटना में रामकृपाल, मुजफ्फरपुर में रमई राम, समस्तीपुर में आलोक मेहता, आरा-बक्सर में कांति सिंह और जगदानंद सिंह का प्रभाव दिखेगा। आज बिहार भाजपा और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं में गिने जाने वाले सम्राट चौधरी, संजय जायसवाल और अखिलेश सिंह ने भी राजनीति शुरु करते समय लालूजी की उंगली थामी थी।
लालूजी समतामूलक समाज के हिमायती थे। उनके पहले कार्यकाल में 22 दलित विधायक जीते थे उनमें से 11 मंत्री बनाए गए। 12 मुस्लिम विधायक जीते,8 को मंत्री बनाया गया। 18 जीते हुए कुशवाहा विधायकों में से 11 मंत्री बनें। 28 सवर्ण जीते, 18 मंत्री बने। 2 आदिवासी जीते दोनों को मंत्री बनाया। 63 पिछड़े विधायकों में से 31 को मंत्री बनाया।
No comments:
Post a Comment