Wednesday, October 10, 2018

पीएम मोदी की रैली में जबरदस्त हूटिंग। हजारों नौजवानों ने 'मोदी- गो बैक' के नारे लगा कर भाषण में डाला व्यवधान।


#पीएम मोदी की रैली में जबरदस्त हूटिंग
#हजारों नौजवानों ने 'मोदी- गो बैक' के नारे लगा कर भाषण में डाला व्यवधान
#इधर मोदी का भाषण चलता रहा , उधर पीछे पंडाल खाली हो गया
#पूरे प्रदेश से प्राइवेट स्कूलों की बसों में ढ़ो कर लाने के बाद भी भीड़ 25 हजार ही पहुंची
#हरियाणा के तीन सांसद- केंद्रीय मंत्री राव इंद्र जीत सिंह , अश्विनी चोपड़ा व राजकुमार सैनी रैली से रहे नदारद

सांपला (रोहतक) । रहबरे-आजम व किसानों के मसीहा चौधरी छोटूराम की जयंती के मौके पर सांपला में आयोजित रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुरी तरह हूटिंग हो गई । किसी प्रधानमंत्री की ऐसी हूटिंग पहले शायद ही कभी हुई हो । पिछले चार साल के शासनकाल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की सार्वजनिक रूप से ऐसी छिछालेदारी देश में शायद कहीं भी नहीं हुई । मोदी जी का पूरा भाषण ही हूटिंग की भेंट चढ़ गया ।

गौरतलब है कि मोदी जी का भाषण शुरू होने तक सब कुछ एकदम शांत था और भीड़ एकदम अनुशासनबद्ध तरीके से बैठी हुई थी । मोदी जी के भाषण के लिए खड़े होते ही लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट और 'मोदी-मोदी' के नारों से उनका स्वागत किया । लग रहा था कि अभी भी हरियाणा में मोदी जी का जादू बरकरार है । मोदी जी ने शुरूआत में 'सर छोटूराम , अमर रहें -अमर रहें' के नारे लगवाये , जिसका लोगों ने खूब गर्मजोशी से जवाब दिया । इसके बाद मोदी जी ने सर छोटूराम के गुणगान शुरू किये और किसानों की भलाई के लिए किए गये उनके कामों को गिनाने लगे । अचानक प्रेस गैलरी के पीछे से शोर शराबा सुनाई देने लगा । हजारों की तादाद में नौजवान दोनों हाथ हिला हिला कर कहने लगे , हमें नहीं सुनना आपका भाषण । बीजेपी नेता समझ नहीं पा रहे थे कि अचानक यह क्या झमेला शुरू हो गया ? इन नौजवानों के शोर के कारण किसी को मोदी जी का भाषण पल्ले नहीं पड़ रहा था । लेकिन मोदी जी ने भी हूटिंग से विचलित हुए बिना अपना भाषण जारी रखा । उन्होंने न तो कोई राजनीतिक बातें हीं की और न किसी की आलोचना करने का प्रयास ही किया । उनका पूरा भाषण सर छोटूराम , सरदार पटेल और किसानों की समस्याओं पर ही केंद्रित रहा ।
बीजेपी के कुछ नेताओं ने मोदी का विरोध कर रहे नौजवानों को शांत कराने का प्रयास किया , लेकिन ये नौजवान पूरे समय खड़े ही रहे और समझाने क् उन पर कोई असर नहीं हुआ । उन्होंने कुर्सियों पर बैठने का उपक्रम तक नहीं किया । प्रेस गेलरी के पीछे मौजूद पुलिस कर्मी मूक दर्शक बने रहे और उन्होंने विरोध करने वालों को खदेड़ने का कोई प्रयास नहीं किया। यदि नारेबाजी व हूटिंग करने वाले की तादाद कम होती तो पुलिस उन्हें दबोच भी लेती , लेकिन हजारों लोगों की भीड़ को खदेड़ने के उपक्रम में हालात खराब होने का अंदेशा था । पंडाल में भगदड़ मचने की अाशंका के चलते पुलिस शांत बनी रही। अगर भगदड़ मच जाती तो बहुत लोगों की जानें जा सकती थीं । स्टेज और हूटिंग करने वालों के बीच में सिर्फ वीआईपीज , सरकारी अधिकारियों व प्रैस संवाददाताओं की गैलरियां ही थीं । हूटिंग करने वालों के लगातार खड़े रहने और शोर मचाने के कारण पंडाल में पीछे बैठे लोगों को कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था । इस वजह से पीछे की कुर्सियों पर बैठे लोग उठ कर पंडाल से बाहर जाने लगे । नतीजा यह हुआ कि मोदी जी का भाषण खत्म होने से पहले ही आधा पंडाल खाली हो चुका था ।

मोदी जी के भाषण के खत्म हो जाने और उनके स्टेज से चले जाने के बाद भी कुछ देर तक ये हुड़दंगी नौजवान शोर मचाते रहे ।

वैसे भाषण देते समय मोदी के चेहरे के भाव लगातार रंग बदलते रहे। हुडदंगी नोजवानों की भीड़ के शोरशराबे व नारेबाजी के कारण वे बैचेन जरूर दिखे, लेकिन उन्होंने संयम बनाए रखा और हुडदंगियों को धमकाने या चेतावनी देने की कोई कोशिश नहीं की और अपना भाषण जारी रखा। लेकिन स्टेज पर बैठे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की हालत देखने लायक थी। वे बेबसी से हाथ मलते रहे और कुछ नहीं कर सके। बीजेपी के तमाम आला नेताओं के चेहरे आज के इस नजारे को देखकर उतरेहुए नजर आये परंतु कुछ ऐसे नेता भी थे, जिनके चेहरे खिले हुए दिखाई दिए।

सबसे बुरी हालत पुलिस व गुप्तचर एजेंसियोंके आला अधिकारियों की दिखाई दी, जिनकी जिम्मेदारी हुड़दंगियों पर निगाह रखने की थी। गुप्तचर एजेंसियों के जासूसों को भनक तक नहीं लगी और हजारों की तादाद में हुडदंगी स्टेज के इतने करीब तक पहुंच गये। अगले एकाध दिन मे रोहतक जिले के बड़े अधिकारियों तथा गुप्तचर एजेंसियों के अफसरों पर आज के घटनाक्रम को लेकर गाज गिरने की पूरी संभावना है। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में इतनी बड़ी तादाद में हुडदंगियों का निर्विध्न पहुंचना सुरक्षा की दृष्टि से एक बड़ी चूक है।

लगता है कि राज्य सरकार को रैली में कम भीड़ आने की संभावना पहले से ही दिखाई दे गई थी। इसलिए रैली के लिए बहुत छोटा पंडाल लगाया गया था। पंडाल में बैठने के लिए सभी के हेतू कुर्सियों की व्यवस्था की गई थी। कुर्सियों की संख्या और पंडाल के क्षेत्रफल के हिसाब से इस पंडाल में बीस हजार से ज्यादा भीड़ नहीं जुट सकती। परंतु पंडाल से बाहर भी तकरीबन पांचेक हजार लोग मौजूद थे। इस हिसाब से पच्चीस से तीस हजार की भीड़ रैली में आई थी जो कि मोदी जी के कद के हिसाब से बहुत कम है और भीड़ के हिसाब से रैली फ्लॉप कही ज् सकती है। ये भीड़ भी प्राइवेट स्कूलों की सैंकड़ों बसों को कब्जे में लेकर ढ़ोई गई थी। पूरे प्रदेश भर से लोगों को ढ़ो कर लाया गया था। खुद मोदी जी ने अपने भाषण के अंत में कहा कि पंजाब, हरियाणा व राजस्थान से आये सभी लोगों का रैली में आने के लिए धन्यवाद। यानि मोदी जी भी मानते हैं कि ये भीड़ तीन राज्यों की थी। वैसे दिल्ली की बसें भी भीड़ लेकर रैली में आई हुईं दिखीं।

वैसे प्रधानमंत्री के साथ बैठने का मौका सिर्फ चंद लोगो को ही मिल पाया। केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्रसिंह व कृष्णपाल, मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, हरियाणा के कृषिमंत्री ओमप्रकाश, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेवनारायण आर्य, हिमाचल के राज्यपाल देवव्रत और जम्मू काश्मीर के राज्पाल सतपाल मलिक ही मंच पर विराजमान हो सके। हरियाणा सरकार के बाकी सभी मंत्रियों व विधायकों को एक अलग मंच पर बैठाया गया। हरियाणा के वित्त मंत्री अभिमन्यु ने भी पीएम के मंच पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन एसपीजी के कमांडोज ने उन्हें हाथ पकड़कर पीछे कर दिया और स्टेज पर न चढ़ने दिया। वैसे हरियाणा बीजेपी के तीन लोकसभा सदस्यों की आज की रैली में गैरमौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। ये हैं केंद्रीय मंत्री व गुरूग्राम के लोकसभा सदस्य इंद्रजीत सिंह, करनाल के सांसद और पंजाब केसरी संपादक अश्विनी चोपड़ा तथा कुरूक्षेत्र सांसद राजकुमार सैनी।
#babulinayat

3 comments:

  1. विभाजनकारी संघी पाठशाला के संकीर्ण विचार के छात्र नरेंद्र मोदी ने कल हरियाणा में दीनबंधु सर छोटूराम को नीचा दिखाया। प्रधानमंत्री की सोच पर तरस आता है। फेंकू और कृत्रिम स्वभाव के धनी मोदी जी ने हरियाणवी बोली में भाषण की शुरुआत करी। वैसे ये हर प्रदेश में जाकर वहाँ की भाषा में शुरुआती दो-तीन वाक्य बोलते है तो बड़े बनावटी लगते है।

    ख़ैर, कल प्रधानमंत्री मोदी ने सर छोटूराम के संपूर्ण व्यक्तित्व को उन्हें “जाटों का मसीहा” बताकर समेट दिया। मुझे इस बात पर सख़्त आपत्ति है। ये विषैले संघी लोग कमेरे और श्रमशील वर्गों के महापुरुषों को अब उनकी जाति तक ही सीमित करने की साज़िश रचने लग गए है। महापुरुष किसी जाति विशेष के नहीं होते। अगर मोदी जी सर छोटूराम को केवल जाटों का मसीहा समझते हैं तो वो देश के करोड़ों ग़रीब किसान मजदूरों के नेता का कद छोटा कर रहे हैं। अरे मोदी जी, आपके शरणार्थी संघी गुरु उनके पैरों की धूल भी नहीं है।

    दीनबंधु चौधरी छोटूराम सिर्फ़ जाटों के मसीहा नहीं थे, बल्कि वे समस्त किसान क़ौम, कमेरे और कामगारों के मसीहा थे। ऐसी शख़्सियत को सिर्फ़ जाटों का मसीहा कहना, उनकी तौहीन करने वाली बात है।

    मोदी जी, दलित और पिछड़े लोगों ने उन्हें 'दीन बंधु' माना जबकि अंग्रेज़ों ने उन्हें 'सर' की उपाधि दी थी। वो उनके काम की वजह से था, ना कि जाति की वजह से। उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि उनकी वजह से अविभाजित पंजाब प्रांत में न तो मोहम्मद अली जिन्ना की चल पायी और ना ही हिंदू महासभा की। वो उस पंजाब प्रान्त की सरकार के मंत्री थे जिसका आज दो तिहाई हिस्सा पकिस्तान में है। उन्हें सरकार का मुखिया बनने का अवसर मिला तो उन्होंने कहा कि तत्कालीन पंजाब प्रांत में मुसलमानों की आबादी 52 प्रतिशत थी। इसलिए उन्होंने किसी मुसलमान को ही मुख्यमंत्री बनाने की पेशकश की और खुद मंत्री बने रहे. इसलिए ही उन्हें 'रहबर-ए-हिन्द' की उपाधि दी गयी थी।

    मोदी जी, ऐसी महान शख़्सियत को एक क्षेत्र और जाति के दायरों में ही सीमित करने की कोशिश मत किजीए।



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