यूपी में एक साल में अनेकों "फर्जी" एनकाउंटर हुए जिसमें अधिकांश दलित-पिछड़ें और अल्पसंख्यक वर्गों के लोग सरकारी गोलियों से मारे गये ।
इन सभी मृतकों के परिजनों को भी लखनऊ में हाल ही में मारे गए विवेक तिवारी के परिवार की तरह 40 लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।
जितनी जल्दी विवेक तिवारी की पत्नी को मुआवज़ा और नौकरी मिली इतना मुआवज़ा और इतनी जल्दी ही नौकरी सेना और अर्ध-सैनिक बलों के शहीद जवानों और फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को भी मिलनी चाहिए।
विवेक तिवारी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता था उसे तो उसकी कंपनी से भी मुआवज़ा मिलेगा लेकिन बाक़ी सब तो ग़रीब घरानों के अपने परिवार के एकलौते कमाऊ पुत थे। उन सभी के भी छोटे-छोटे बच्चे है। अब मीडिया उन्हें नहीं दिखाएगा तो क्या उन्हें मुआवज़ा और सहानुभूति नहीं मिलेगी?
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पीड़ितों को यथाशीघ्र न्याय और मुआवज़ा मिले।
#babulinayat
इन सभी मृतकों के परिजनों को भी लखनऊ में हाल ही में मारे गए विवेक तिवारी के परिवार की तरह 40 लाख रुपए मुआवजा और सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए।
जितनी जल्दी विवेक तिवारी की पत्नी को मुआवज़ा और नौकरी मिली इतना मुआवज़ा और इतनी जल्दी ही नौकरी सेना और अर्ध-सैनिक बलों के शहीद जवानों और फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को भी मिलनी चाहिए।
विवेक तिवारी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करता था उसे तो उसकी कंपनी से भी मुआवज़ा मिलेगा लेकिन बाक़ी सब तो ग़रीब घरानों के अपने परिवार के एकलौते कमाऊ पुत थे। उन सभी के भी छोटे-छोटे बच्चे है। अब मीडिया उन्हें नहीं दिखाएगा तो क्या उन्हें मुआवज़ा और सहानुभूति नहीं मिलेगी?
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट को सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी पीड़ितों को यथाशीघ्र न्याय और मुआवज़ा मिले।
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