Thursday, March 29, 2018

लालू यादव जब जेल गए थे तब पूरी तरह सेहतमंद थे। बाबुल इनायत

दिल्ली जाते समय गया स्टेशन पे ली गई तस्वीर
ये तस्वीरें शर्मनाक हैं. लोकतंत्र पर धब्बा हैं. लालू यादव जब जेल गए थे तो पूरी तरह तंदुरुस्त थे. अभी की हालत फोटो में देख लीजिए. ये फोटो बिहार के गया रेलवे स्टेशन पर ली गई है. सुना है कि लालू को इलाज के लिए उनके निजी खर्चे पर भी हवाई जहाज से दिल्ली लाने नहीं दिया गया. सच्चाई आप लोग पता करिए.
अगर घोटाला लालू की सजा है तो इस देश में बड़े से बड़े घोटालेबाज छुट्टा घूम रहा है. अब तक राजनीति में एक शर्म-हया बाकी रहती थी, वो अब खत्म हो गई है. मैंने कहीं पढ़ा था कि जब बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी गंभीर रूप से बीमार थे और विदेश में इलाज कराने के वास्ते उनके पास पैसे नहीं थे, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री कांग्रेस के राजीव गांधी ने रास्ता निकालकर अटलजी को विदेश भेजा और इलाज कराया. अटल जी ताउम्र राजीव गांधी का ये एहसान मानते रहे और जब राजीव की हत्या हुई और रिपोर्टर अटल जी के पास इस मौत पर प्रतिक्रिया लेने पहुंचे तो अटल जी ने कहा- आप लोग कुछ भी कर लो पर मैं राजीव जी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलूंगा. अगर आज मैं जिंदा हूं, तो सिर्फ राजीव गांधी की बदौलत.
तो ये थी हमारे देश की राजनीति और हमारा लोकतंत्र. लालू यादव को देखकर यकीन नहीं हो रहा कि धुत्त बुड़बक बोलने वाला ये शख्स जेल में कितना कमजोर और लाचार बना दिया गया है. मैं निजी तौर पर इसका सख्त विरोध करता हूं. विचारधारा और राजनीति में हम असहमत हो सकते हैं पर ये निजी दुश्मनी में नहीं बदलनी चाहिए.
एक बार फिर कह रहा हूं. अगर चारा घोटाला लालू का अपराध है तो सिर्फ एक दिन के लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दीजिए. अलग-अलग पार्टियों के भक्तों के जितने भी आराध्य नेता हैं, उन सबको एक ही दिन में Suo moto लेकर जेल में ना ठूंस दिया, तो फिर ये सारी पढ़ाई-लिखाई बेकार है.
कानून और न्यायपालिका के नाम पे किसे मूर्ख बना रहे हो बे ! अगर इतना ही जिगरा है तो जरा विजय माल्या, नीरव मोदी, चोकसी जैसों को वापस ला के दिखाओ ना ! और कहां हैं शरद यादव जो पिछड़ों के मसीहा बने फिरते हैं? कहां हैं रामविलास पासवान ??
एक बार फिर कह रहा हूं. अगर चारा घोटाला लालू का अपराध है तो सिर्फ एक दिन के लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दीजिए. अलग-अलग पार्टियों के भक्तों के जितने भी आराध्य नेता हैं, उन सबको एक ही दिन में Suo moto लेकर जेल में ना ठूंस दिया, तो फिर ये सारी पढ़ाई-लिखाई बेकार है.
रामविलास पासवान को शर्म नहीं आती ? जब ये आदमी खुद जेल में था तो लालू उन्हें ढांढस बंधाने औरे मिलने जेल गए थे. पासवान ने खुद कहा था कि तब उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. कितने कृतघ्न हो तुम रामविलास पासवान ? कितने नौटंकी हो तुम शरद यादव ? और नीतीश कुमार ? जेपी आंदोलन की छड़ी पकड़कर निकले इस आदमी ने कब खुद का जमीर मार दिया, पता नहीं.
राजनीति होती रहती है, पर लोकतंत्र उससे बड़ा है. ये देश एक संप्रभु राष्ट्र है, किसी की बपौती नहीं. लालू यादव अगर बीमार हैं तो उन्हें देश का अच्छे से अच्छा इलाज मिलना चाहिए. जरूरत पड़े तो विदेश भी ले जाना चाहिए. लेकिन एक शेर को इस तरह जंजीरों में बांधकर उसे मारने की कोशिश करेंगे तो जनता सब देख रही है. और जनता माफ नहीं करती.
वह बहुत क्रूरता से फैसला देती है. घमंड ना तो सिकंदर का टिका और ना हिरण्यकश्यप का. ना धरती पर और ना आकाश में, ना मनुष्य द्वारा और ना किसी जानवर द्वारा. मौत कैसे होगी फिर ? कौन मार सकता था उसे ? फिर खंभा फाड़कर नरसिंह अवतार आए. उसे ना आसमान में मारा और ना जमीन पर, बस जंघा पर बिठा के पेट चीर दिया अपने नाखूनों से.
जनता भी नरसिंह अवतार लेती है. जिनको इस बात पर यकीन नहीं, वो इस देश के लोकतंत्र का इतिहास देख ले. ये मजाक था क्या कि दिल्ली में जनता ने अरविंद केजरीवाल जैसे नौसिखिए को आंख मूंदकर सत्ता सौंप दी थी. इसलिए डरिए. जनता न्याय करती है. तौलकर हवा में उछालती हैं और फिर तराजू के पलड़े पर रखके कांटा बराबर कर देती है.
इंतजार कीजिए..,......


                                  बाबुल इनायत
                                 9507860937
             सोशल मीडिया प्रभारी,राजद अररिया बिहार

1 comment:

  1. आप शहर में रहते हैं, आप अमीर हैं,
    लेकिन ध्यान से देखिये आपके पास असल में कुछ भी नहीं है,
    ना सब्जी ना गेहूं ना मछली ना दूध ना सोना ना हीरा,
    आपने कागज के रूपये खुद ही छाप लिये,
    आपके पास सिर्फ कागज का रुपया है,
    इस कागज का एक काल्पनिक मूल्य है,
    जैसे कि एक सौ रूपये के बदले कितना सब्जी, गेहूं, मछली, दूध, सोना, हीरा मिलेगा आदि,
    अब इन कागज के रुपयों को अगर कोई सब्जी,गेहूं,मछली, दूध,सोना,हीरा से ना बदले तो आप के कागज़ी रूपये की कीमत जीरो है,
    और तब आप अचानक एकदम गरीब हो जायेंगे,
    इसलिये जब कोई आपका रुपया अपनी असली सम्पत्ति से बदलने से इनकार करता है तो आप उसे मजबूर करने के लिये अपने हथियारबंद सिपाही भेजते हैं,
    जैसे बस्तर में आदिवासियों ने अपनी असली दौलत ज़मीन को आपकी नकली कागज़ी दौलत से बदलने से मना किया तो आपने अपनी सेना आदिवासियों को मारने के लिये भेज दी,
    गाँव गाँव में असली दौलत के मालिक किसानों पर आपकी सेना इसी नकली दौलत को स्वीकार कराने के लिये हमला कर रही है,
    इसे ही आप मुक्त अर्थव्यवस्था कह्ते हैं,
    लेकिन यह पूरी तरह से बन्दूक के दम पर ही चलाई जा सकती है,
    क्योंकि यह पूरी तरह अवैज्ञानिक अर्थव्यवस्था है,
    आपके पास इसे सही सिद्ध करने के लिये कोई तर्क नहीं है,
    इसलिये आप इस व्यवस्था को चुनौती देने वाले विचार को आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ी चुनौती कहते हैं,आप पहले तो बंदूक के दम पर लोगों से असली दौलत छीन लेते हैं,
    फिर आप उन्हें अपने कागज़ी रुपयों के लिये काम करने को मजबूर स्तिथी में ले आते हैं,
    लोग आपके कागज़ी रूपये के बदले काम करें इसी में आपकी इस व्यवस्था का जीवन है,
    यह व्यवस्था करोड़ों किसानो, मछुआरों, खनिकों, मजदूरों की व्यवस्था नहीं हो सकती,
    यह लुटेरी व्यवस्था है,
    यह हथियारों के बल पर ही चल सकती है,
    यह कभी भी अहिंसक नहीं हो सकती,
    यह कभी भी लोकतांत्रिक नहीं हो सकेगी,
    इसमें से गरीबी, गैरबराबरी, युद्ध और विनाश ही निकलेगा,

    ReplyDelete

नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाए एवं बधाई। बाबुल इनायत

अररिया जिला सहित प्रदेश एवं देशवासियों को नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनाएं। आइये, नववर्ष में संकल्पित होकर निश्चय करें कि गरीबी...