Friday, March 23, 2018

आप मानते हैं विकास का मतलब है औद्योगीकरण, उद्योग का मालिक कौन होगा ?

आप मानते हैं विकास का मतलब है औद्योगीकरण, उद्योग का मालिक कौन होगा ? 
अमीर,
मुनाफा किसकी जेब में जायेगा ?
 अमीर की,
इस उद्योग के लिये ज़मीन किसकी ली जायेगी ?
गरीब की,
ज़मीन कैसे ली जायेगी ?
प्रेम से या सरकारी बंदूक के दम पर ?
सरकारी बंदूक के दम पर, तो विकास का मतलब हो गया कि सरकारी बन्दूक के दम पर गरीब से ज़मीन छीन लो अमीर को दे दो, इसे ही हम अहिंसक विकास कहते हैं, इसे ही हम लोकतन्त्र कहते है, इस तरह के विकास के लिये बन्दूक चलाने वाले राजनैतिक दलों को ही हमारा समर्थन और वोट मिलता है, इसका मतलब है संसाधनों के लिये चलने वाले इस युद्ध में हम भी एक पक्ष हैं, इस विकास को, इस राजनीति को और इस तरह के लोकतन्त्र को जनविरोधी मानने वालों को हम विकास विरोधी, लोकतन्त्र विरोधी और देशद्रोही कहते हैं ၊ प्रधानमंत्री ने लाल किले से बोला कि जो हमारे विकास का विरोधी है वही देश द्रोही है ၊ और विकास का मतलब है गरीब से छीन लो अमीर को दे दो ၊ आपने बंदूक लेकर सरकार को गरीब के दरवाजे पर भेज दिया है अब गरीब उसका सामना कैसे करे ?
अब गरीब अपनी ज़मीन कैसे बचाए ?
अब गरीब अपनी जिंदगी कैसे बचाए ?
 अब गरीब अपनी बेटी की इज्जत आपके सरकारी बंदूकधारियों से कैसे बचाए ?
 देशवासियों को ज़ल्दी से इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढ लेना चाहिये, हर देश के विकास का एक क्रम होता है, पहले सभी लोग खेती करते हैं, फिर कुछ लोग खेती में से निकल कर खेती के लिये औज़ार बनाने लगते हैं, इस तरह छोटे उद्योग पैदा होते हैं, फिर छोटे उद्योगों के लिये मशीने बनाने के लिये मझोले उद्योग जन्म लेते हैं, फिर इन उद्योगों के लिये तकनीक और विज्ञान की ज़रूरत पड़ती है, फिर वैज्ञानिक बनाने के विश्वविद्यालय बनते हैं, फिर इन सब के लिये बीमा , बैंकिंग , हिसाब किताब , कम्प्युटर की ज़रूरत पड़ती है फिर उनका विकास होता है, लेकिन अगर हम फावड़ा बनाने की इजाज़त भी टाटा को दे दें, और नमक भी वही टाटा बनाएगा, विश्वविद्यालय भी वही चलाएगा, सुनारी का लुहारी का बढ़ई का सब काम वही टाटा करेगा तो जो लोग खेती से बाहर हो रहे हैं वो क्या करेंगे ?
जब इस देश में काम करने वाले करोड़ों हाथ बेरोजगार हैं तो बड़ी मशीने लगाने और रोज़गार घटाने की इजाज़त क्यों दी?
जब आप गरीबों से ज़मीने छीन कर बड़े उद्योगपतियों को सौंप देते हो तब आप उनके सामने यह शर्त नहीं रख सकते कि आपको इन उद्योगों में इस देश के लोगों को रोजगार भी देना पड़ेगा ?
 हमारी ज़मीन भी ले लेंगे, मुनाफा भी कमाएंगे, हमें रोज़गार भी नहीं देंगे, हमारी नदी भी गंदी कर देंगे, हमारी हवा भी ज़हरीली कर देंगे, हमारी सरकार और पुलिस इनकी जेब में पड़ी रहेगी, जब हम इस सब के बारे में बोलेंगे तो हमें जेल में डाल दिया जायेगा, हमें नक्सली समर्थक कहा जायेगा, हमें विकास का विरोधी बताकर गालियां दी जायेंगी, हमें इस देश की आंतरिक सुरक्षा के लिये सबसे बड़ा खतरा बताया जायेगा, आप भी तो इस सब के बारे में जानिये, यह देश आपका भी तो है,
बाबुल इनायत
+91 9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

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