अगर आप अमेरिका की जेलों को देखें तो वहां ज्यादातर काले लोग बंद हैं अगर आप भारत की जेलों को देखें तो जेलों में ज्यादातर आप को दलित आदिवासी मुसलमान और गरीब लोग मिलेंगे आखिर क्या कारण है कि हमारी जेलों में वही लोग बंद हैं जो सामाजिक तौर पर कमजोर हैं और आर्थिक तौर पर जिन्हें मेहनती होने के बावजूद गरीब बनाकर रखा गया है ध्यान दीजिए कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम दूसरों की मेहनत से जो अमीर बने बैठे हैं हम जानबूझकर गरीबों में खौफ पैदा करने के लिए उन्हें जेलों में ठूंस देते हैं सारी दुनिया का अनुभव तो यही बताता है सबसे खतरनाक बात यह है कि दलितों आदिवासियों मुसलमानों को जेल में छोटे-छोटे अपराधों में ठूंस देने के बावजूद इस देश के अमीर शहरी पढ़े-लिखे एलीट लोग कोई आवाज नहीं उठाते अन्याय का सामना करना अन्याय का विरोध करना हर इंसान का फर्ज है लेकिन हम अन्याय का विरोध करते समय या तो जाति या मजहब या आर्थिक वर्ग के स्वार्थ से खुद को जोड़कर चुप हो जाते हैं असल में हमारे अपने स्वार्थ इन गरीब लोगों को जेलों में ठूँसने से ही पूरे होते हैं अगर हम इस अन्याय से नहीं लड़े अगर हमने इस अन्याय को समाप्त नहीं किया तो हमारे बच्चे भी अन्याय को सहन करना और अन्याय को जारी रखना सीख जाएंगे और जो समाज अन्याय को जारी रखता है उस समाज में कभी शांति नहीं आ सकती इसलिए आप अगर अपने बच्चों को अन्याय सहना और अन्याय करना सिखा रहे हैं तो आप अपने बच्चों को एक अशांत दुनिया बनाना भी सिखा रहे हैं अगर आपको शांति चाहिए तो न्याय के लिए आवाज उठाइए ।
बाबुल इनायत
+91 9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार
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