Monday, March 26, 2018

लालू नाम है उस इंसान का जिन्हें जेल ओर हॉस्पिटल में स्लो पोवाईजन देकर मौजूदा निजाम मार डालने की साजिश रच रही है। बाबुल इनायत

आज़ाद हिंदुस्तान के किसी भी सूबे के उस मुख्यमंत्री का नाम बताओ जिन्होंने अपने पहले ही कार्यकाल के पहले दो वर्षों में ही पांच-पांच विश्वविद्यालय खोल दिए। नहीं मालूम है या जानबूझकर आपको आज तक मनुवादी से लेकर ख़ुद को प्रगतिशील कहने वाली मीडिया तक, किसी ने भी बताना ज़रूरी नहीं समझा? लालू नाम है उस इंसान का जिन्हें जेल और हॉस्पिटल में स्लो प्वॉइजन देकर मौजूदा निजाम मार डालने की साज़िश रच रही है। तुम यूं ही चुप बैठे रहोगे, कायरो, कृतघ्नो! तुम्हें मालूम भी है कि उसी शख़्स की शरीक़े-हयात जिन्हें मीडिया ने तुम्हारे सामने 'जाहिल-अनपढ़-गंवार-दब्बू' के रूप में पेश किया; ने सत्ता संभालने के 8 महीने के भीतर 1998 में एक और युनिवर्सिटी खोलने का काम किया, नाम है- मौलाना मजहरूल हक़ अरबी-फारसी विश्वविद्यालय, पटना! कब तक झाल बजाते रहोगे 24 कैरटिया कीर्तनिया मंडली में! निकलो बाहर और दक्षिण की तरफ नज़र दौड़ाओ। चंद्रबाबू ने राह अलग पकड़ी, तो बेटे के ऊपर छापे पड़ने शुरू हो गए। कल तक वो दूध के धुले थे। इ तोतवन की असलियत पकड़ो-बूझो और गांव-जवार में जाके समझाओ-बताओ। कब तक पटना विलासिता के रंग में डूबा रहेगा और तुम्हारी पूंजी लुटती रहेगी! लखनऊ तो संभल रहा है, पटना तुम डगमगाओ मत। बताओ, कल का छोरा मुख्यमंत्री को आंख दिखा रहा है। किन्ने सुतल है महराज कि उ भी नाम के मुताबिक़ मनुए है! बड़ा ला एंड आडर का होहल्ला कइले था। लालू इहे सब नै होने देते थे तो बड़ा भकभकाते रहता था पोंगापंथी। अब देख भाई, उ सब के विरोध करते-करते तू भी ओकरे ऐसन मत हो जाना। नै तो फिर लालू की लड़ाई का मतलब का रह जाएगा! इरादे नहीं बदलने चाहिए, हौसले नहीं चकनाचूर होने चाहिए। जुल्म करो मत जुल्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो क़दम-क़दम पर लड़ना सीखो। लोहया
बाबुल इनायत
9507860937
सोशल मीडिया प्रभारी,राजद अररिया बिहार

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