Monday, March 26, 2018

लोकतंत्र क्या है



एक दिहाती चच्चा पुछे लोकतंत्र क्या है ?
लोकतंत्र शब्दिक अर्थ है लोगो का शासन पर इसका अर्थ ये नही है कि लोग एक दुसरे पर सासन करें बल्कि लोकतंत्र का तात्पर्य ऐसी सासन व्यवस्था से है जिसमे देश की लोगो की परोक्ष या अपरोक्ष रूप से समान भागीदारी हो इसमे दलित,अल्पसंख्यक, पिछङा महिलाएँ सहित समाज के अन्य सभी वर्गो की समान भागीदारी होती है हमारी लोकतांन्त्रिक व्यवस्था मे सभी वस्तु 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोग अपने मत का प्रयोग करके अपने प्रतिनीधियों को चुनते है। चुने हुए प्रतिनीधी मिलकर देश के लिये कानून बनाते है ये कानून भी अधिकांस चुने हुए प्रतिनीधियो की सहमति से बनाते है। लोग अपनी मर्जी से कानून नही बना सकते है इसके लिये बहुमत द्वारा निर्णय करने का अधिकार सबको बराबर मिलता है। लोकतंत्र मे व्यक्तिगत निर्णय नही अपितु सामूहिक निर्णय महत्व रखता है लोकतंत्र मे कानून का पालन होता है किसी व्यक्ति विषेस या फिर बदमास नेताओ के आदेशो का नही।


●चच्चा पुछे तो ये बताओ हमारे देश मे लोकतंत्र कब आया ;-

हमारे देश मे लोकतंत्र की नींव एक दिन मे नही पङी हमने कहा इसकी नींव अंग्रेजो से लङते हुए आजादी के समय मे पङी थी और लोकतंत्र को लाने वाले एक सख्स की बहुत बङी भुमिका है वो शख्स है हम सबके बाबा भीम राव अम्बेडकर साहब, कारण यह था की इस आजादी का मुख्य आधार लोगो की सक्रिय भागीदारी थी पुराने समय मे जब राजा राज्य करते थे वे अपने कुछ खास लोगो की राय मसोरा करके कानून बनाते थे राजा के बेटा उस राज्य का राजा बनकर ऐसा ही करता था कानून बनाने या कानून लागू करने मे लोगो की कोई भागीदारी नही रहती थी पर लोगो को उस कानून का पालन करना पङता था अत: हमारे नेताओ ने खासकर बाबा साहब ने यह तय किया कि देश का शासन देश के लोगो के हाथो मे होगा तभी हमे लोकतंत्र स्थापित करने की प्रेरणा मिली क्यो कि यही एक ऐसी व्यवस्था है जिसमे सर्वसाधारण को अधिकतम भागीदारी का असर मिलता है। आजादी के बाद लोकतंत्र की स्थापना करने के लिये देश का संविधान बाबा साहेब के हाथो लिखा गया संविधान को लिखने वाले बाबा साहब को भी चुना गया था लोगो के द्वारा ही संविधान मे केन्द्रिय और प्रान्तिय दोने प्रकार की सरकारो को बनाने और चलाने मे कानून दिये गये है संविधान के कानून सबसे ऊँचे है ये कानून देश के सभी लोगो को समान रूप से मानने पङते है ऊनके भी जो ये कानून बनाये है यदि कोई भी व्यक्ति कानून तोङता है तो उसे कानून के अनुसार सजा मिलती है।


●चच्चा फिर पुछे की बाबा हम ये कैसे कह सकते है कि हमारे देश मे लोकतंत्र है? :-
 चच्चा हमारे बाबा साहब ने संविधान मे भारत को एक लोकतंत्रात्मक देश घोषित किये है और इस संविधान मे लोकतंत्र के उन आधार स्तम्भो की चर्चा की गई है जो लोकतंत्र के लिये जरूरी है। चच्चा ने पुछा ये आधार स्तम्भ क्या है जरा समझाओ इसे ठीक से चच्चा के साथ और लोग बैठे थे सब ध्यान से सुन रहे थे ठीक है अच्छा ध्यान से सुनिये। लोकतंत्र का पहला आवश्यक आधार स्तम्भ है (स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव) भारतिय संविधान के तहत भारत मे एक लोकतंत्रात्मक सरकार की स्थापना की गई है ऐसी सरकार लोगो के प्रतिनीधियो द्वारा संचालित होती है जिनका निर्वाचन आयोग चुनाव लोगो द्वारा किया जाता है इस कार्य के संचालन के लिये भारतीय संविधान ने चुनाव आयोग की व्यवस्था की है। मालूम है भारत जैसे बङे और विकाससील देश मे एक संसदीय चुनाव कराने मे 10,000 करोङ रुपये से अधिक धनराशि खर्च होती है चुनाव आयोग यह सुनिस्चित करता है कि देश मे होने वाले चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पच्छ हो। इसके लिये चुनाव आयोग चुनाव मे होने वाले व्यय की सीमा तय करता है जिसका राजनितीक दलो एवं प्रत्यासियो द्वारा पालन किया जाता है चुनाव प्रक्रिया की निस्क्रियता सुनिस्चित करने के लिये यह जरूरी है। कि पर्याप्त मात्रा मे पुलिस एवं चुनाव अधिकारी नियुक्ति किये जाएँ। किसी भी प्रकार के चुनाव विवादो मे चुनाव आयोग तथा उच्चतम न्यायालय की भुमिका सर्वोपरि होती है। आईये अब EVM मसीन की बात करें जिससे आपका मत पङता है जो कि इस समय जो ये सरकार है ये EVM मे छेङछाङ करके सरकार बनाने मे माहिर है देहाती मे कहा जाये तो लूट, घसोट, बेईमानी करती है। और हम सबके मतो को गलत प्रयोग करती है और लोकतंत्र को खतरा पहुँचाती है और हम सबके बाबा साहेब के संविधान के कानूनो को तार-तार करती है। E V M ये एक डिब्बे की तरह मशीन है जिसमे एक तरफ राजनितीक दलो के नाम एवं उनके चुनाव चिन्ह के सामने एक निले रंग का बटन होता है जिसको दबाने से हम इच्छानुसार कीसी भी दल किसी भी प्रत्यासी को अपना मत दे सकते है। नीला बटन सिर्फ एक बार ही दबाया जा सकता है अत: इस प्रकार सिर्फ एक ही दल के पक्ष मे एक ही व्यक्ति द्वारा एक ही मत दिया जा सकता है।


●फिर चच्चा पुछे लोकतंत्र मे राजनितीक दल क्या काम आते है ? :-
चच्चा सुनिये किसी भी विशाल समाज मे लोग व्यक्तिगत रूप से सार्वजनिक जीवन को प्रभावित नही कर सकते परन्तु दुसरो से मिलकर यह सम्भव हो सकता है यही काम राजनैतिक दल करते है। राजनैतिक दल,राजनैतिक पद एवं प्रभाव पाने के उद्देश्य से समान विचार रखने वालो के साथ मिलकर कार्य करते है इसके अलावा चुनाव के समय ये राजनैतिक दल अपने- अपने विचार कार्यक्रमो एवं नितीयो को लोगो के समक्ष रखते है अब जैसे इसे समय आप देख लिजीये भाजपा वालो का विचार है। हिन्दू, मुस्लिम, गाय,गोबर समसान कब्रिस्तान ये पाखंण्डियो का विचार है जनता के प्रति और वही समाजवादी विचार धारा के राजनिती पार्टीयो के विचार जैसे की RJD,SP,BSP हो गये ये ऐसी पार्टीयाँ है। की सबको समान तरह से देखती है हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई आपस मे है सब भाई भाई के नजरो से नफरतो को खत्म करने का काम ये पार्टी वाले और इसके जो अध्यक्ष है वो खूद दलित पिछङा से आते है तो जाहिर सी बात है कि अपने बहन भाई दलित पिछङे अल्पसंख्यको को पढने लिखने मे खाने पिने मे उच्च एवं बेहद खूबसूरत व्यवस्था करवाना उनका फर्ज बनता है। और करवाते भी आप देख भी सकते है। सुनिये चच्चा जिस दल के सबसे ज्यादा प्रतिनीधी चुने जाते है वही दल सरकार बनाता है चाहे वो राज्य का विधानसभा चुनाव हो या फिर देश की लोकसभा चुनाव हो और बाकी के जो दल होते है वो दल विपक्षी दल के रूप मे कार्य करते है ये विपक्षी दल जो सरकार मे बैठे दल को अपने मनमानी करने से संसद या फिर विधानसभा मे आवाज उठाते है सरकार को अपनी मनमानी करने से रोकते है।

●चच्चा का सवाल पर यदि किसी भी दल का बहुमत न हो तो ? :-
सुनिये चच्चा ऐसे मे समान विचारो वाले दल आपसी विचार विमर्ष से अपना एक नेता चुनते है और सरकार बनाते है कहा जाये तो गठबंधन या महागठबंधन भी कह सकते है। ऐसा भी होता है कि जिस दल को मतदाताओ के सबसे कम मत मिलते है वह भी अन्य दलो से एक समझौते के तहत अपनी सरकार बना लेते है।

●फिर चच्चा पुछे की बाबा ये बताओ इन दलो की चौपाल जरूर लगती होगी? चच्चा ने एकदम उत्सुकतावश पुछा। :-

हमने हसते हुए कहा हाँ क्यू नही चौपाल लगायेंगे बिना चौपाल लगाये कैसे अपने विचार विमर्ष और लोगो को संगठित होना बतायेंगे इन सारे दलो के चुने हुए प्रतिनीधि नई दिल्ली स्थित सासंद भवन मे बैठते है भारतीय लोकतंत्र मे संसद लोगो की सर्वोच्च्च प्रतिनीधी संस्था है। ये प्रतिनीधी लोगो की विचारो से सरकार को संसद के माध्यम से अवगत कराते है सरकार अपने कार्यो के लिये संसद के प्रति उत्तरदायी होती है कोई भी सरकार संसद के माध्यम से ही देश का सासन चलाती है।

●चच्चा फिर सवाल पुछ लिये बाबा ये बताओ की हमारे गाँव की सफाई और ये जो तालाब है उसकी सफाई करवाने के लिये हमे नई दिल्ली जाना पङेगा ? :-

हमने जवाब दिया कि अरे नही चच्चा आप मोदी जी थोङी नही है की आपको विदेश जाना पङेगा अगर आपको अपने गाँव के तालाब की सफाई करवानी है तो आप अपने गाँव के सदस्य या फिर जो गाँव के मुखिया प्रधान के रूप मे होता है उससे कहकर करवा सकते है तो चच्चा बोले की अरे बाबा ये प्रधान तो किसी का सुनता ही नही ये बोलता है कि हमे अब चुनाव नही लङना है हम काम क्यू करवायें आपका हम ये बात सुनते ही बोले अरे बाप रे ये तो लोकतंत्र को खतरा पहुँचा रहा है आपका प्रधान ये अगर अबकी बार चुनाव लङे तो भी अपना मत इसे अबकी बार ना देना ऐसे ही लोग लोकतंत्र को खतरा पहुँचाते है आइये आगे बताते है आपको भारतीय लोकतंत्र मे प्रत्येक भारतीय नागरिक को कुछ मूल अधिकार दिये गये है जैसे- नागरिक,राजनैतिक,समाजिक, आर्थिक, सांसकृतिक अधिकार यही मौलिक अधिकार लोकतंत्र का दुसरा स्तम्भ है। राजनैतिक राज्य व्यक्तियो तथा समूहो के कार्यो मे हस्तक्षेप न करने के लिये प्रसिद्ध है।

●चच्चा पुछ रहे है कि बाबा ये बताओ क्या हम भी सबके तरह चुनाव लङ सकते है ? :-

हमने कहा हाँ क्यो नही लङ सकते आप यह तो सभी का अधिकार है चाहे स्त्री हो या पुरूष।

●चच्चा पुछे पर यदि हमे कोई चुनाव लङने ले रोके तो ? :-

हमने जवाब दिया रोकेगा क्यो यह तो आपका मौलिक अधिकार है आपके पास बाबा साहेब का संविधान है आपको डरने की जरूरत नही है आप एक स्वतंत्र देश के स्वंतंत्र नागरिक है आपको डरने की जरूरत नही है किसी से जब आपका मन है तो आप चुनाव लङिये लोकतंत्र मे सबको चुनाव लङने का अधिकार मिला है। भारतिय संविधान ने नागरिको के मूल अधिकारो की सुरक्षा का भार न्यायपालिका को सौंपा है जनता को सामान्य न्याय दिलाने हेतु न्यायपालिका को सरकार के दबाव और नियंत्रण से स्वतंत्र रखा गया है जिससे वह निष्पक्ष एवं निर्भयतापुर्ण न्याय दे सके इस लिये सर्वोच्च न्याय पालिका को केन्द्र तथा राज्यो मे से किसी एक के भी अधिन नही रखा गया है। (स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र का तिसरा महत्वपुर्ण स्तम्भ है)।


●चच्चा ने अचानक पूछा बाबा ये बताओ मिडीया या संचार माध्यम के बारे मे अक्सर सुनते है ये क्या है बाबा ? :-

हमने जवाब दिया आपने बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है कल आपने देखा होगा की टीवी पर मैच आ रहा था भारत ने कितना अच्छा खेला मैच के जितने पर गाँव के लङके ने खुशी मे पटाखे भी छोङे होंगे चच्चा ने कहा हाँ बाबा हाँ हमने खेत मे रेडियो पर मैच के बारे मे सुन रहा था हमने कहाँ यही रेडियो, टेलिवीजन, अखबार पत्र - पत्रिकाये,बैनर पोस्टर संचार माध्यम या मिडीया है। जिसके माध्यम से हम सुचनाओ का प्रचार प्रसार करते है। लेकिन चच्चा आज की गोदी मिडीया आपको अच्छी चीज नही दिखाती ये हिन्दू मुस्लिम का डिबेट दिखाती कहाँ कम दंगा हुआ है वो दिखाती है मतलब की ये लोग भी कुल मिलाकर लोकतंत्र को खतरा पहुँचा रहे है आप समझ रहे है ना चच्चा हा बाबा समझ रहे है। एक बात और इस लोकतांत्रिक देश मे संचार माध्यम (मिडीया) व पत्रकार स्वतंत्र रूप से कार्य करते है नकि गोदी सरकार के दबाव मे करेंगे अगर ऐसा हो रहा है तो ये लोकतंत्र के लिये बहुत भयावह है लोकतंत्र मे इनका काम ये है कि जनता के सभी प्रकार के विचारो कोे सरकार के पास पहुचाने का काम करते है तथा सासन पर सार्वजनिक दबाव का माध्यम होते है और यही लोकतंत्र का चौथा आधार स्तम्भ है। संविधान मे भारतीय नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है चाहे वो किसी भी माध्यम से दे सके परन्तु वह न्यायालय और संसद की अवमानना या मानहानि नही कर सकता है। यदि सरकार जनता की बात नही सुनती तो जनता इसका विरोध सभाओ, प्रदर्शनो, जुलूसो, तथा आंन्दोलनो द्वारा कर सकती है किन्तु ये आन्दोलन पूर्णतया शाँन्ति पूर्ण होने चाहिये। लेकिन ये जो अभी सरकार है मोदी जी की सरकार जनता की एक भी बात नही सुन रही है चार साल हो गये सरकार बनाये हुए किसानो का कर्ज तक नही माफ कर रही है। सत्ता मे आने के लिये जनता से बङे बङे वादे करके सत्ता मे बैठी थी अब सभी वादो को जुमला करार दे रही है। जनता का अपमान ऊपर से कर रही है किसान, छात्र, छात्राये सान्ति पुर्ण आंन्दोलन करके अपना हक माँग रहे है तो पुलिसीया डंन्डा चलवाती है आंन्दोलनकर्तो के ऊपर डंडे बरसाती फिर रही है। तो क्या ऐसी सरकार आपको चाहिये जो लोकतंत्र को खतरे मे डाल रही है। संविधान के कानूनो को तार तार कर रही है और कुछ सत्ता के दंगाई जो होते है वो दुसरे ढंग से प्रदर्शन करते है रेलगाङी, बस, ट्रक तोङ- फोढकर आग लगाकर तथा इतिहास से जुङी इमारतो पर पोस्टर वगैरा चपकाकर विरोध करते है कत्तई ऐसा नही करना चाहिये आपको संविधान के कानून के दायरे मे रहकर कर प्रोटेस्ट करना चाहिये। अभी की बात है कि रामपुर गाँव मे रामू काका को कई महिनो से उन्हे पेंशन नही मिली। उन्होने शहर जाकर ये खबर छपवाई खबर पढकर पेंशन विभाग मे खलबली मच गई। जाँच करने पर विभाग के लोगो को गलती मालूम हुई नतीजा यह हुआ की काका को विभाग से पत्र मिला कि वे अपनी बकाया पेंशन विभाग मे आकर तत्काल प्राप्त कर लें। देखा कैसे प्रशासन तंत्र मे जवाबदेही लाये। यदि शासन जनमत की इच्छा की लगातार अवहेलना करता है तो अगले चुनाव मे उन लोगो को जनता दुबारा नही चुनेगी जैसे आप इस समय मोदी सरकार को कह सकते है। किन्ही और लोगो को अपना मत देकर विजयी। बनायेगी यही जन प्रतिनिधीयों मे जवाबदेही लाने का तरीका है ।


●चच्चा कहेन बाबा अब समझे लोकतंत्र क्या है (लोगो का लोगो के द्वारा लोगो के लिये शासन है लोकतंत्र) :-

हमने कहा हाँ बिल्कुल सही कहा आपने पर मात्र लाकतांत्रिक ढाँचा बना लेने से सही अर्थो मे लोकतंत्र सुनिश्चित नही होता है। इसके लिये यह जरूरी है की प्रत्येक नागरिक अपने कर्त्वयो एवं दायित्यो के प्रति जागरूक हो वह स्वयं निर्णय लेने की क्षमता रखता हो और यह तभी संम्भव है जब वह शिक्षीत एवं जागरूक होगा शिक्षीत व्यक्ति को न केवल अपने देश की समस्याओ की सही जानकारी होती है बल्कि उनको सुलझाने मे भी अपना योगदान दे सकता है। शिक्षीत व्यक्ति किसी के बहकावें मे आकर उसे वोट नही देगा वह अपने से उचित अनुचित प्रत्याशियो का निर्णय करेगा इसलिये लोकतंत्र को मजबूत बनाने मे शिक्षा का महत्व सबसे अधिक है तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। अब्राहम लिंकन साहब कहे है-: तुम बेवकूफ बना सकते हो सभी लोगो को कुछ समय के लिये कुछ लोगो को हमेशा के लिये लोकिन सभी लोगो को हमेशा के लिये नही। ये मोदी जी के लिये लिखे है अब्राहम लिंकन साहब का लेख।

●चच्चा आगे आईये सर्वधर्म समभाव-:

लोकतंत्र की सफलता के लिये शिक्षा के अतिरीक्त नागरिको मे परस्पर धार्मिक सद्भाव का होना भी आवस्यक है।दुसरे शब्दो मे कहे कि उनमे पंथ निरपेक्षता की भावना होनी चाहिये। इसका सिधा अर्थ यह है कि-- सभी व्यक्तियों को अपने- अपने विस्वास के अनुसार अपना धर्म का पालन व प्रचार- प्रसार करने की स्वतंत्रता होगी। धर्म के आधार पर कोई किसी से भेदभाव नही करेगा। राज्य किसी भी धर्म को विशेष प्रोत्साहन नही देगा।


●समाजिक समरता और आर्थिक समानता :-

लोकतंत्र मे धार्मिक स्वतंत्रता के साथ-साथ समाजिक समानता का भी होना आवस्यक है। समाजिक समता के अभाव मे लोकतंत्र कमजोर हो जाता है विगत कई शताब्दियों से हमारे समाज मे अनेक प्रकार की असमानताएँ विद्यमान रही है। धर्म जाति और लिंग पर आधारित भेदभाव हमारी समाजिक व्यवस्था को प्रभावित करते रहे है। इसके कारण मानव व मानव के बीच दूरी बढती गई लेकिन ऐसा हम लोग को नही करना चाहिये मिल जुल कर रहना चाहिये। जो राष्ट्रीय एकता और समाजिक प्रगती के मार्ग मे बहुत बङी बाधा सिद्ध हुई। इस भेदभाव को समाप्त, खत्म करने के लिये सभी जातियो को समान अवसर व स्थान दिये जाने चाहिये। पर दिया नही जा रहा है दलितो पिछङो के ऊपर कितना बर्बर तरिके से पेश आते है लोग। यदि देश मे असमान आय वितरण होगा यानि कुछ लोग बहुत अमीर और ज्यादा लोग गरीब होंगे। तब भी लोकतांत्रिक व्यव्स्था कमजोर होगी लोग असंतुष्ठ होकर अपनी सांन्ति भंग कर सकते है सरकार के ऊपर अपना गुस्सा भी दिखा सकते है।

● (लोकतंत्र का भविष्य कुछ चुनौतियाँ):-

 हम सबको अपनी स्थिती मे सुधार लाने के लिये जरूरी है कि हम सही नेताओ का चुनाव करें मोदी जी जैसे नेताओ को तो कभी भूल से भी ना चुने जो जनता को धोखा देने मे माहिर है और लोकताँत्रिक व्यवस्था को तार तार करने मे माहिर है लोकतंत्र को कमजोर करते है ऐसे नेता। यदि आप सबको सही नेताओ को चुनने के लिये कोई ठीक विकल्प नही मिलता है या चुने हुए प्रतिनिधी अक्षम है तथा उनमे बदलाव लाने की दृढ़ इच्छा नही है। तब लोकतंत्र एक अनुपयोगी व महँगा ढाँचा सिद्ध होता है।अत: हमे याद रखना कि एक जवाबदेह लोकताँत्रिक व्यवस्था लाना हमारा महत्वपूर्ण दायित्व है। इस जिम्मेदारी को हमे निभाना चाहिये इससे हम बच नही सके ।

                               बाबुल इनायत
                              9507860937
         सोशल मीडिया प्रभारी, राजद अररिया बिहार

            

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