Saturday, August 4, 2018

किसी नेता के शामिल हो जाने भर से कोइ प्रोटेस्ट नकली नही हो जाता ।ऐसे विरोध प्रदर्शन को सिर्फ वोट बैंक की राजनीति कहकर खारिज कर देना भी एक तरह की राजनीति ही हैं साथ ही न खुद कुछ करना और न दुसरे को करने देना बाली कहावत ही चरितार्थ होती है।

सवाल लड़कियों के न्याय का है,सुरक्षित देश और समाज का है।ऐसे मुद्दों पर हर किसी को अपने अपने तरीके से आवाज बुलंद करना चाहिये ,चाहे वो नेता हो या अभिनेता या मिडिया या आम आदमी।अगर आपको लगता है कि नेता ऐसे मुद्दों को सिर्फ अपने वोट बैंक में इजाफा करने के लिये उठा रहा है तो कौन सा प्रोटेस्ट में साथ देने भर से आपका वोट उसे ट्रांसफर हो जायेगा।कम से कम समाजहित से जुड़े मुद्दे पर एक साथ आवाज तो बुलंद किया ही जा सकता है वोट भले ही सब अपने अपने पसंदीदा नेता या दल को दें।

वैसे भी मुजफ्फरपुर बालिका गृह जैसे जघन्यतम कांड पर मिडिया और सिविल सोसाएटी का जो रुखा रवैया रहा ,उससे इनके सेलेक्टिव अप्रोच का तो खुलासा हुआ ही,साथ ही यह भी पता चला कि ये किसके इशारे पर खामोश रहे।अव्वल तो देखिये विपक्ष के जन्तर मन्तर पर आज के कैंडिल मार्च को मिडिया 2019 की तैयारी बता रहा।

सिर्फ सोशल मिडिया ही इस कांड पर अपने तरीके से दबाव बनाता रहा । ओर खाश तौर से तेजस्वी यादव जी का धन्यवाद जो बच्चियों की सुरक्षा की खातिर इस पूरे कांड का राष्ट्रीय स्तर पर पर्दाफाश करने का काम किया।नितीश कुमार ऐसे ही आज अचानक शर्मसार नही हुये ,ये हमारे-आपके और कुछ चुनिंदा नेताओं के सक्रियता के कारण ही हुआ है नही तो शर्म से सर पहले ही झुक जाना चाहिये था।और कौन नही जानता कि ब्रिजेश ठाकुर किसके दम पर खुलेआम ठठा रहा था ।
मुजफ्फरपुरबालिकागृहकांड
Babilinayat


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