अमित साह नीतीश जी से मिलेंगे. अनिश्चितता का माहौल समाप्त हुआ. दोनों के बीच अब एक नहीं बल्कि दो मुलाक़ात होगी. हालाँकि पहली मुलाक़ात समूह में होगी. भाजपा के नेताओं के साथ. असली मुलाक़ात तो रात में होगी. भोजन पर.
भाजपा गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश जी की अमित शाह से यह पहली मुलाक़ात होगी. विधान सभा के पिछले चुनाव में नीतीश जी महागठबँधन की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरा थे. अमित साह उस चुनावी अभियान में बिहार के लोगों को चेता रहे थे. नीतीश अगर मुख्यमंत्री बनेंगे तो पाकिस्तान में दिवाली मानेगी. इसलिए पहली मुलाक़ात में पुरानी बात की याद की थोड़ी झेंप तो होगी.
लेकिन दोनों की बातचीत का असली पेंच तो बड़े भाई का दर्जा का है. बिहार में चेहरा किसका बड़ा होगा ! नीतीश कुमार का या नरेंद्र मोदी का ! बड़ा भाई कौन है, या किसका चेहरा बड़ा है, इसकी कसौटी क्या होगी ? स्वाभाविक है कि आगामी चुनावों में जो ज़्यादा सीट पर चुनाव लड़ेगा बिहार की जनता उसे ही बड़े भाई का दर्जा देगी. क्या भाजपा के लिए यह संभव है. सहज बुद्धि तो कहती है कि यह नामुमकिन है. तब नीतीश कुमार क्या रूख अपनायेंगे यह देखना दिलचस्प होगा.
भाजपा गठबंधन के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश जी की अमित शाह से यह पहली मुलाक़ात होगी. विधान सभा के पिछले चुनाव में नीतीश जी महागठबँधन की ओर से मुख्यमंत्री के चेहरा थे. अमित साह उस चुनावी अभियान में बिहार के लोगों को चेता रहे थे. नीतीश अगर मुख्यमंत्री बनेंगे तो पाकिस्तान में दिवाली मानेगी. इसलिए पहली मुलाक़ात में पुरानी बात की याद की थोड़ी झेंप तो होगी.
लेकिन दोनों की बातचीत का असली पेंच तो बड़े भाई का दर्जा का है. बिहार में चेहरा किसका बड़ा होगा ! नीतीश कुमार का या नरेंद्र मोदी का ! बड़ा भाई कौन है, या किसका चेहरा बड़ा है, इसकी कसौटी क्या होगी ? स्वाभाविक है कि आगामी चुनावों में जो ज़्यादा सीट पर चुनाव लड़ेगा बिहार की जनता उसे ही बड़े भाई का दर्जा देगी. क्या भाजपा के लिए यह संभव है. सहज बुद्धि तो कहती है कि यह नामुमकिन है. तब नीतीश कुमार क्या रूख अपनायेंगे यह देखना दिलचस्प होगा.
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