Tuesday, February 19, 2019

पुलवामा हमले में 43 जवानों की शहादत के बाद मीडिया चैनलों की कौवा रार पर गौर कीजिए। क्या आपको एक भी चैनल इस हमले में सरकार से सवाल करता दिख रहा है कि भारी बर्फबारी के कारण जब सीआरपीएफ ने केंद्र सरकार से जवानों को वापस भेजने के लिए विमान यात्रा की मांग की तो कराने की 4 महीने तक गृह मंत्रालय इस मांग वाली फाइल को दबाए क्यों बैठा रहा ? जब सरकार के पास स्पष्ट इंटेलिजेंस इनपुट थे कि कार से विस्फोट करा कर जवानों को निशाना बनाया जा सकता है, फिर भी जवानों को 78 बसों के काफिले में क्यों भेजा गया ? जवानों के मूवमेंट की जानकारी लीक कैसे हुई ? देश मे इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक  कहाँ से और कैसे आया ?

किसी चैनल की हिम्मत नही है कि वो प्रधानमंत्री से पूछ सके कि पुलवामा हमले के बाद वो उत्तराखंड में चुनावी रैली को फोन से क्यों सम्बोधित कर रहे थे, उसी शाम जिम कार्बेट नेशनल पार्क में डिस्कवरी चैनल के लिए डॉक्यूमेंट्री वीडियो की शूटिंग क्यो कर रहे थे ? क्या आपने किसी भी चैनल को प्रधानमंत्री द्वारा सर्वदलीय बैठक छोड़कर चुनावी रैलियों को महत्व देने पर उनकी आलोचना करते सुना ? नोटबन्दी से आतंकवाद की कमर टूट जाएगी ये किसी चैनल को याद क्यों नही आ रहा ? कोई चैनल मोदी जी के पुराने भाषणों के वीडियो याद दिला रहा हो तो बताइए जब वो आप की अदालत के सेट और चुनावी रैलियों के मंचो से ही पाकिस्तान को निपटा दिया करते थे।

ABP न्यूज तो बाकायदा स्टूडियो में ही वार रूम बनाकर बैठ गया है। ब्रेकिंग न्यूज़ चिल्लाते हुये ये भक्ति चैनल लाहौर,इस्लामाबाद, कराची पर कब्जा कर रहे हैं। कश्मीर संभल नही रहा और बलोचिस्तान की बाते हो रही हैं। सरकार से सवाल पूछने के बजाय इन चैनलों का जोर इशारों में सिद्धू,सानिया मिर्जा को देशद्रोही साबित करने में अधिक है।

याद रखिये हमारे देश मे पाकिस्तान के नाम पर ही देशभक्ति जगती है चीन के नाम पर नही। एक तयशुदा एजेंडे के तहत ये चैनल इस समय लोगों के गुस्से को उभार रहे हैं ताकि रष्ट्रवाद की ठेकेदार पार्टी के पक्ष में चुनावी माहौल बना सकें। हमले के फौरन बाद दनादन चुनावी रैलियां हो रही हैं। चैनल भी मस्त होकर बता रहे हैं कि आज मोदी जी ने फलानी जगह ये कहा,अलानी जगह वो कहा। अब पाकिस्तान की खैर नहीं। भक्त तो गीत गाते ही रहते हैं कि मोदी ये कर देगा,वो कर देगा। कद्दू में तीर मारा जा रहा है। आतंकवादी सेना को मारे तो पाकिस्तान जिम्मेदार, सेना आतंकियों को मारे तो क्रेडिट मोदी को।

लगभग हर आतंकी हमले के बाद सेना को खुली छूट देने का दावा किया गया था। फिर भी नतीजा सामने है। कुल मिलाकर 2014 के बाद कुएं में ऐसी भांग घोली गयी है जिसकी खुमारी अभी तक उतर नही पा रही और इसमें दुनिया मे विश्वनीयता के मापदंड पर 130वें स्थान वाली भारतीय मीडिया का बहुत बड़ा हाथ है।



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