मैं बुराई के ख़िलाफ़ आवाज़ सिर्फ इसलिए नहीं उठाता कि ये बुराई कल को मुझे भी प्रभावित कर सकता है।
मैं बुराई के ख़िलाफ़ इसलिए होता हूँ कि मैं एक अच्छा समाज देखना चाहता हूँ....
ये जानते हुए कि बुराई रहित समाज नामुमकिन है मैं आवाज़ उठाता हूँ क्योंकि मैं चाहता हूँ मेरे आसपास का समाज ऐसा हो जहाँ मैं चैन व सुकून से जी सकूँ।
हाँ, मुझसे नहीं जीया जाता इस समाज में जहाँ धर्म, जाति, वर्ग, क्षेत्र, लिंग आदि के नाम पर शोषण के उदाहरण सेट किए जाते हैं, लेकिन मैं मर नहीं सकता।
क्योंकि कहीं न कहीं मैं भी मर जाने को हार मान लेना मानता हूँ और हार मानना ही होता तो बहुत पहले मान लेता...
मुझे जीतना है और जीत न भी सका तो आख़िरी वक़्त तक कोशिश करता रहूँगा और एक अच्छे समाज के निर्माण में अपनी पूरी ऊर्जा लगाता रहूंगा।
मेरा "अच्छा समाज" कोई Utopia, कोई कल्पनालोक बन कर नहीं रह जाएगा। मुझे यक़ीन है कुछ साथी दृढ़ निश्चय से इस सफर में हमारे साथ हैं हम उस अच्छे समाज को हक़ीक़त में बदलने की हर वो कोशिश करूँगा जो कर सकते हैं।
मैं बुराई के ख़िलाफ़ इसलिए होता हूँ कि मैं एक अच्छा समाज देखना चाहता हूँ....
ये जानते हुए कि बुराई रहित समाज नामुमकिन है मैं आवाज़ उठाता हूँ क्योंकि मैं चाहता हूँ मेरे आसपास का समाज ऐसा हो जहाँ मैं चैन व सुकून से जी सकूँ।
हाँ, मुझसे नहीं जीया जाता इस समाज में जहाँ धर्म, जाति, वर्ग, क्षेत्र, लिंग आदि के नाम पर शोषण के उदाहरण सेट किए जाते हैं, लेकिन मैं मर नहीं सकता।
क्योंकि कहीं न कहीं मैं भी मर जाने को हार मान लेना मानता हूँ और हार मानना ही होता तो बहुत पहले मान लेता...
मुझे जीतना है और जीत न भी सका तो आख़िरी वक़्त तक कोशिश करता रहूँगा और एक अच्छे समाज के निर्माण में अपनी पूरी ऊर्जा लगाता रहूंगा।
मेरा "अच्छा समाज" कोई Utopia, कोई कल्पनालोक बन कर नहीं रह जाएगा। मुझे यक़ीन है कुछ साथी दृढ़ निश्चय से इस सफर में हमारे साथ हैं हम उस अच्छे समाज को हक़ीक़त में बदलने की हर वो कोशिश करूँगा जो कर सकते हैं।
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